- Jagran Josh
- Her Zindagi
- Onlymyhealth
- Vishvas News
- वेब स्टोरीज
- महाराष्ट्र चुनाव 2024
- झारखंड चुनाव 2024
- आयशर ट्रैक्टर्स
- प्रगतिशील पंजाब
- दिवाली इ-बुक
- जागरण इमर्सिव
- मैसी फर्ग्यूसन
- क्या खरीदें
- जागरण प्राइम
पॉलिटिक्स +
- सोशल मीडिया
- बिजनेस विज्डम
- बचत और निवेश
- बैंकिंग और लोन
- एक्सपर्ट कॉलम
स्पोर्ट्स +
- मूवी रिव्यू
- बॉक्स ऑफ़िस
- बॉलीवुड विशेष
लाइफस्टाइल +
- रिलेशनशिप्स
- फैशन/ब्यूटी
- लेटेस्ट न्यूज़
- लेटेस्ट लॉंच
- वास्तु टिप्स
- धर्म समाचार
- धार्मिक स्थान
- Did You Know
- Select Language
- English Jagran
- ਪੰਜਾਬੀ ਜਾਗਰਣ
- ગુજરાતી જાગરણ
- miscellaneous
Swami Vivekananda Speech: पढ़िए स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए महान भाषण के मुख्य अंश
विश्व धर्म परिषद में अपने भाषण के प्रारंभ में जब स्वामी विवेकानंद ने अमेरिकी भाइयों और बहनों कहा तो सभा के लोगों के द्वारा करतल ध्वनि से पूरा सदन गूंज उठा। उनका भाषण सुनकर विद्वान चकित हो गए।
शिकागो का ऐतिहासिक भाषण
11 september 1893, यह भाषण स्वामी विवेकानंद द्वारा 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म संसद, शिकागो, अमेरिका में दिया गया था ।.
स्वागत का जवाब
आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूँ और सभी जाति-संप्रदाय के लाखों-करोड़ों हिंदों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से निकला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहनशीलता और सभी को स्वीकारने का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान व सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इस्राइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके पवित्र धार्मिक स्थल को रोमन हमलावरों ने तोड़कर खंडहर बना दिया था और तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और अब भी उन्हें पाल-पोस रहा है। भाइयो, मैं आपको वैदिक मंत्रों की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा जिसे मैंने बचपन से याद किया और दोहराया है। इनको करोड़ों लोगों द्वारा हर दिन दोहराया जाता है — "जिस तरह अलग-अलग स्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद्र में जाकर मिलती हैं, उसी तरह मनुष्य अपनी प्रवृत्ति के अनुरूप अलग-अलग रास्ते चुनता है। वे देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें, पर सभी रास्ते भगवान तक ही जाते हैं।"
वर्तमान सम्मेलन जो आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, गीता में बताए गए इस सिद्धांत का प्रमाण है — जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई न भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं। सांप्रदायिकता, कट्टरता और हठधर्मिता लंबे समय से इस सुंदर धरती को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन्होंने धरती को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं। अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के दुखों और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।
Home | Quotes | Chicago Speech (English) | Chicago Speech (Hindi) | National Youth Day
केंद्र एव राज्य की सरकारी योजनाओं की जानकारी in Hindi
Swami Vivekananda Speech: इस युवा दिवस पढ़े स्वामी विवेकानंद की Iconic Speech
Swami Vivekananda Speech: स्वामी विवेकानंद कोलकाता में जन्मे देश के महान सामाजिक नेताओं में से एक माने जाते हैं। यह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ इस भक्ति एवं कुशल वक्ता थे। यह 25 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक मोह माया को त्याग संयासी बन गए। वह धर्म, दर्शन ,वेद, उपनिषद, साहित्य एवं पुराणों के ज्ञाता थे। प्रत्येक वर्ष 12 जनवरी को उनके जन्म जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि स्वामी विवेकानंद देश के सभी युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्रोत थे। इसलिए इनके जन्म जयंती को देश की युवाओं के लिए समर्पित कर दिया गया।संपूर्ण दुनिया में सनातन धर्म को पहचान दिलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। जैसे कि आप लोगों को पता है स्वामी विवेकानंद के जयंती के दिन कई स्कूल, कॉलेज एवं ऑफिस में भाषण प्रतियोगिता का कार्यक्रम होता है, ऐसे में यदि आप लोग भी भाषण प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है या लेने वाले हैं लेकिन आपको समझ में नहीं आ रहा है।
तो आईए हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से स्वामी विवेकानन्द का शिकागो भाषण | Chicago Speech of Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द शिकागो भाषण पीडीएफ | Swami Vivekananda Chicago Speech PDF,स्वामी विवेकानन्द पर भाषण हिंदी में | Speech on Swami Vivekananda in Hindi, स्वामी विवेकानन्द पर भाषण | Speech on Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द के बारे में भाषण | Speech About Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानन्द भाषण पीडीएफ | Swami Vivekananda Speech PDF, स्वामी विवेकानन्द का संक्षिप्त भाषण | Swami Vivekananda Short Speech, संबंधित जानकारी विस्तार पूर्वक प्रदान कर रहे हैं इसलिए आप लोग इस आर्टिकल को अंत तक पढ़े।
Swami Vivekananda Speech in Hindi
स्वामी विवेकानंद ने वैसे तो कई जगह भाषण दिए हैं, लेकिन शिकागो में दी गई स्पीच काफी फेमस रही और आज भी लोग उनकी यह स्पीच सुनने को उत्सुक रहते हैं। बता दें कि स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनके घर का नाम नरेंद्र दत्त था। उनके पिता श्री विश्वनाथ दत्त का निधन 1884 में हो गया था, जिसके चलते घर की आर्थिक दशा बहुत खराब हो गई थी। मात्र 39 वर्ष की आयु में स्वामी जी का निधन हो गया था।
Also Read: स्वामी विवेकानंद पर निबंध हिंदी में
स्वामी विवेकानंद | Swami Vivekananda – Overview
संगीत, साहित्य और दर्शन में विवेकानंद की काफी रुचि थी। तैराकी, घुड़सवारी और कुश्ती उनका शौक था। स्वामी जी ने तो 25 वर्ष की उम्र में ही वेद, पुराण, बाइबिल, कुरान, धम्मपद, तनख, गुरूग्रंथ साहिब, दास केपीटल, पूंजीवाद, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और दर्शन की तमाम तरह की विचारधारा को घोंट दिया था। वे जैसे-जैसे बड़े होते गए सभी धर्म और दर्शनों के प्रति अविश्वास से भर गए। संदेहवादी, उलझन और प्रतिवाद के चलते किसी भी विचारधारा में विश्वास नहीं किया। नरेंद्र की बुध्दि बचपन से ही तेज थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे ब्रम्ह समाज में गए, लेकिन वहां उनके चित्त को संतोष नहीं हुआ।
Also Read: स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय (पृष्ठभूमि, इतिहास और मृत्यु)
रामकृष्ण परमहंस की शरण में
अपनी जिज्ञासाएं शांत करने के लिए ब्रम्ह समाज के अलावा कई साधु-संतों के पास भटकने के बाद अंत में वे रामकृष्ण परमहंस की शरण में गए। रामकृष्ण के रहस्यमय व्यक्तित्व ने उन्हें प्रभावित किया, जिससे उनका जीवन बदल गया। रामकृष्ण को गुरू बनाने के बाद उनका नाम विवेकानंद हुआ।
Also Read: सुभाषचंद्र बोस जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
स्वामी विवेकानन्द का शिकागो भाषण | Chicago Speech of Swami Vivekananda
स्वामी विवेकानंद ए 11 सितंबर 1893 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में भाषण देकर पूरे विश्व में भारत के मजबूत छवि को पेश किए थे। ऐतिहासिक भाषण का चर्चा वर्तमान समय में भी होता रहता है। इतना ही नहीं इस भाषण के समाप्त होने के बाद सम्मेलन में बैठे सभी लोग 2 मिनट तक तालिया के द्वारा इनका भाषण का स्वागत किए थे। लेकिन हम में से कई लोगों को क्या पता नहीं है कि इस भाषण में स्वामी विवेकानंद जी ने क्या कहा था। हम आपको बता दे की स्वामी विवेकानंद जी ने इस भाषण में निम्नलिखित खास बातें कही थी जो इस प्रकार के हैं:-
- स्वामी विवेकानंद जी ने सर्वप्रथम विश्व धर्म सम्मेलन को मेरे अमेरिकी भाइयों एवं बहनों के द्वारा संबोधन करते हुए कहां की आपने स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है जिससे मेरा दिल भर आया है। मैं आप सभी को दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा की ओर से शुक्रिया करता हूं, मैं आपको अभी धर्म के जननी की ओर से कोटि-कोटि धन्यवाद देता हूं।
- उन्होंने कहा कि मेरा धन्यवाद उन लोगों को भी है जिन्होंने इस मंच पर खड़े होकर कहां की दुनिया में सहनशीलता का विचार भारत से फैला है।
- मुझे अत्यंत गर्व है कि मैं उस देश से संबंध रखता हूं सभी धर्म के लोगों को शरण दी है।
- उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए काफी गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में इसराइल के पवित्र स्मृतियों को संभाल कर रखे हैं जिनके धर्मस्थल को रोमन हमलावरों ने तोड़फोड़ के खंडहर में तब्दील कर दिया था इसके बाद उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी।
- स्वामी विवेकानंद जी अपने भाषण में रहते हैं कि जिस प्रकार नदिया अलग-अलग जगह से निकालकर अलग-अलग जगह से होते हुए समुद्र में मिलती है प्रकार मनुष्य जाति अपनी इच्छा के अनुसार अपने रास्ते को चुनते हैं भले ही यह रास्ते दिखने में अलग-अलग लगते हैं लेकिन यह सब ईश्वर तक ही जाती है।
- उन्होंने कहा कि लंबे समय से पृथ्वी को कट्टरता, सांप्रदायिकता, हठधर्मिता आदि अपने शिकंजे में जकड़ा हुए हैं। इन सभी ने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कई बार धरती खून से लाल हुई है इसके अलावा कितनी सभ्यता नष्ट हुई है न जाने कितने देश बर्बाद हो गए हैं।
स्वामी विवेकानन्द शिकागो भाषण | Swami Vivekananda Chicago Speech
Swami Vivekananda Chicago Speech :- स्वामी विवेकानंद के द्वारा 11 सितंबर 1893 में अमेरिका के शिकागो में दिया गया भाषण विश्व प्रसिद्ध है उस भाषण को इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत हिंदी भाषा के माध्यम से किया था उन्होंने अमेरिका के लोगों को मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों! शब्दों के माध्यम से संबोधित किया था आपने जिस सौहार्द और स्नेह के साथ हम लोगों का स्वागत किया है उसके प्रति आभार प्रकट करने के निमित्त खड़े होते समय मेरा हृदय अवर्णनीय हर्ष से पूर्ण हो रहा है। संसार में संन्यासियों की सबसे प्राचीन परंपरा की ओर से मैं आपको धन्यवाद देता हूं। धर्मों की माता की ओर से धन्यवाद देता हूं और सभी संप्रदायों एवं मतों के कोटि-कोटि हिन्दुओं की ओर से भी धन्यवाद देता हूं। मैं इस मंच पर से बोलने वाले उन सभी वक्ताओं के प्रति भी धन्यवाद व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने आपको यह बतलाया है कि दुनिया में सहिष्णुता का भाव विविध देशों में प्रचारित करना आवश्यक हैं। मैं एक ऐसे धर्म का अनुयायी होने में गर्व का अनुभव करता हूं जिसने संसार को सहिष्णुता तथा सार्वभौम स्वीकृत दोनों की ही शिक्षा दी है। हम लोग सब धर्मों के प्रति केवल सहिष्णुता की भावना में विश्वास नहीं रखते हैं बल्कि हम सभी धर्म को सच्चा मानकर उसका आदर करते हैं। मुझे ऐसे देश का व्यक्ति होने का अभिमान है जिसने इस पृथ्वी के समस्त धर्मों और देशों के उत्पीडि़तों और शरणार्थियों को आश्रय दिया है। मुझे आपको यह बतलाते हुए गर्व होता है कि हमने अपने देश में उन सभी यहूदियों को स्थान दिया था जो रोमन लोगों अत्याचार के पीड़ित थे। ऐसे धर्म का अनुयाई होने में मुझे गर्व महसूस हो रहा है बाल अवस्था की स्तोत्र की कुछ पंक्तियां सुनाता हूं जिसकी आवृत्ति मैं बचपन से कर रहा हूं और जिसकी आवृत्ति प्रतिदिन लाखों मनुष्य किया करते हैं। स्वामी विवेकानंद ने कहा कि जिस तरह नदी अलग-अलग जगह और विभिन्न रास्तों से होकर आखिर में समुद्र में आकर मिल जाती हैं’ ठीक मनुष्य अपनी इच्छा से अलग-अलग रास्ते चुनता है लेकिन सभी रास्ते ईश्वर तक जाते हैं |
स्वामी विवेकानंद कहां की मौजूदा सम्मेलन अब तक की सबसे पवित्र सभा में से एक है इसमें मैं गीता के कुछ उपदेशों का विवरण देना चाहता हूं उन्होंने कहा कि जो भी ”जो भी मुझ तक आता है, चाहे कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं. लोग अलग-अलग रास्ते चुनते हैं, परेशानियां झेलते हैं, लेकिन आखिर में मुझ तक पहुंचते हैं.” सांप्रदायिकता, कट्टरता और और इसके भयंकर वंशजों ने अपने धार्मिक हठ ने काफी समय से इस खूबसूरत धरती को अपने कब्जे में रखा है जिसके फल स्वरुप पूरी धरती हिंसा और लड़ाई झगड़ों से भर चुकी है न जाने कितनी बार धरती खून से लाल हुई है कितनी सभ्यताएं बर्बाद हो चुकी हैं और देश नष्ट हो चुके हैं यदि इस पृथ्वी पर कोई भी भयंकर राक्षस नहीं होता तो मानव समाज आज के वक्त और भी ज्यादा विकसित और आधुनिक होता लेकिन मेरा मानना है कि अब हम सबको मिलकर कट्टरता, हठधर्मिता और दुखों का विनाश चाहे वह तलवार से हो या फिर कलम से करना होगा।
स्वामी विवेकानन्द पर भाषण हिंदी में | Speech On Swami Vivekananda in Hindi
यहां उपस्थित सभी शिक्षकों और छात्रों को सुप्रभात। मैं यहां स्वामी विवेकानन्द पर भाषण देने आया हूं। स्वामी विवेकानन्द समकालीन भारत के एक प्रसिद्ध लेखक, विद्वान, विचारक, संत और दार्शनिक थे। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को आनंद के शहर कलकत्ता में हुआ था। उनका मूल नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक विद्वान व्यक्ति थे जिन्हें अंग्रेजी और फ़ारसी दोनों का गहन ज्ञान था। वह कलकत्ता के सर्वोच्च न्यायालय में एक सफल वकील थे। उनकी माँ एक धर्मपरायण महिला थीं जिनका प्रभाव उन पर बचपन से ही पड़ा। उन्होंने उनके चरित्र को आकार देने में प्रमुख भूमिका निभाई। उन्होंने सबसे पहले नरेन को अंग्रेजी का पाठ पढ़ाया और उन्हें बंगाली वर्णमाला से परिचित कराया। उन्होंने 1884-1885 में अंग्रेजी विषय में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। उनकी माँ चाहती थीं कि वे कानून की पढ़ाई करें, लेकिन स्वामी विवेकानन्द की रुचि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने की थी। वह अधिकतम समय साधु-संन्यासियों के साथ बातचीत करने में व्यतीत करता था और सत्य की खोज में अनावश्यक रूप से घूमता रहता था और उसे कभी भी शांति और संतुष्टि नहीं मिलती थी। फिर, वह श्री रामकृष्ण के संपर्क में आए, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया और वह उनके कट्टर अनुयायी बन गए। भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक समाज पर स्वामी विवेकानंद विवेकानंद के शिक्षा का विशेष प्रभाव रहा था। उनकी शिक्षाएँ मुख्य रूप से उपनिषदों और वेदों पर केंद्रित थीं, और उनका मानना था कि मानवता के लिए ज्ञान शक्ति और ऊर्जा का महान स्रोत थे। स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय धर्म और दर्शन के बारे में गहन ज्ञान प्राप्त किया। उनकी शिक्षा का मुख्य सिद्धांत यह था कि मानवता की सेवा का अर्थ ईश्वर की सेवा करना है। उन्होंने रामकृष्ण मिशन नामक एक समूह का निर्माण और स्थापना की, जो जरूरतमंदों, कमजोरों और दुखी लोगों की मदद करने करने का कार्य करता है स्वामी विवेकानंद ने कहा था शिक्षा एक ऐसा उपकरण है जो बेहतर जीवन स्तर प्रदान करता है। किसी देश की प्रगति और समृद्धि सीधे उसके सामाजिक जीवन पर निर्भर करती है। हालाँकि, 4 जुलाई, 1902 को उनकी मृत्यु हो गई।मेरे प्यारे दोस्तों, स्वामी विवेकानंद का नाम भारतीय इतिहास में सुनहरे अक्षरों में अंकित किया गया है उनकी शिक्षा और विचारधारा सदैव दुनिया में जीवंत रहेगी
स्वामी विवेकानन्द पर भाषण | Speech On Swami Vivekananda
प्रिय शिक्षकों और छात्रों!
सभी के लिए शुभकामनाएं। और मुझे स्वामी विवेकानन्द पर भाषण देने का मौका देने के लिए आप सभी को धन्यवाद। देवियो और सज्जनो, अब मैं मशहूर भारतीय दार्शनिक, समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता स्वामी विवेकानन्द के बारे में बात करना चाहता हूँ। वर्ष 1863 में स्वामी विवेकानन्द का जन्म कलकत्ता, भारत में हुआ था। उन्होंने वेदांत का गहन अध्ययन किया और उसका प्रचार प्रसार पश्चिमी सभ्यता में भी किया था वह बंगाली रहस्यवादी और धार्मिक व्यक्ति रामकृष्ण के अनुयायी थे 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानन्द की उद्घाटन प्रस्तुति उनके सबसे प्रसिद्ध व्याख्यानों में से एक है। उन्होंने अपने इस भाषण में धर्म की सार्वभौमिकता के साथ-साथ सहिष्णुता के बारे में भी दुनिया को अवगत करवाया उन्होंने धर्म के बारे में कहा कि सभी धर्म एक लक्ष्य पर पहुंचने के लिए अलग-अलग रास्ते का अनुसरण करते हैं लेकिन उनकी मंजिल एक ही होती हैं। हम सभी लोग स्वामी विवेकानन्द के दर्शन और शिक्षाओं से बहुत कुछ हासिल कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा पर विशेष जोर दिया था उनका मानना था कि शिक्षा के द्वारा ही समाज का समुचित विकास किया जा सकता है अंततः, स्वामी विवेकानन्द एक दूरदर्शी नेता थे जिनकी शिक्षाएँ आज भी लोगों के लिए प्रेरणा और दिशा के स्रोत के रूप में काम करती हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व को हमारा शत-शत प्रणाम हैं। वे 39 साल की छोटी अवधि के लिए जीवित रहे परंतु समाज विकास के लिए उन्होंने जिस प्रकार का कार्य किया है हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे मैं अपने भाषण का समापन स्वामी विवेकानंद के द्वारा बोले गए उनके महान विचारक कथन ‘उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए। के माध्यम से करेंगे
स्वामी विवेकानन्द के बारे में भाषण | Speech about Swami Vivekananda
प्रिय दोस्तों-आप सभी को नमस्कार!
स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 को कलकत्ता में था। भारत के लोग स्वामी विवेकानन्द के जन्म के उपलक्ष्य में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। उनका जन्म बंगाल में कायस्थ जाति के एक उच्च-मध्यम वर्गीय कुलीन परिवार में हुआ था। इनके पिता विश्वनाथ दत्ता कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक वकील थे। और उनकी माँ, भुवनेश्वरी देवी, एक धार्मिक विचारधारा वाली महिला थीं। स्वामी विवेकानन्द का व्यक्तित्व और विचार उनके पिता के विवेकशील दृष्टिकोण और माता के धार्मिक स्वभाव से अत्यधिक प्रभावित थे।
नरेंद्र जब छोटे थे तभी से उनका रुचि अध्यात्म में था। वह एक प्रखर पाठक थे और दर्शन, धर्म, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, कला और साहित्य उनके पसंदीदा विषय थे। उन्होंने पुराणों, वेदों, उपनिषदों आदि सहित धार्मिक ग्रंथों के प्रति भी तीव्र उत्साह प्रदर्शित किया। उन्होंने अपना ख़ाली समय ध्यान और आध्यात्मिक अध्ययन में बिताया।
मानवता की सेवा करके हम ईश्वर का अनुभव कर सकते हैं, यह उनके गुरु द्वारा साझा किए गए ज्ञान का सबसे बड़ा टुकड़ा है। वेदों और उपनिषदों के विषय पर उनके ध्यान ने हमारे देश की सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला। अपनी शिक्षाओं के माध्यम से, उन्होंने एक ईश्वर के शाश्वत सत्य के विचार को फैलाकर लोगों के बीच नफरत से बचने का प्रयास किया। उनके अनुसार मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है और वह चाहता था कि लोग अपने आप पर विश्वास करें।
स्वामी विवेकानन्द भाषण पीडीएफ | Swami Vivekananda Speech PDF
स्वामी विवेकानंद के ऊपर भाषण का पीडीएफ यदि आप प्राप्त करना चाहते हैं तो आर्टिकल में हम आपको उसका पीडीएफ उपलब्ध करवाएंगे जिसे आप आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
PDF Download :
स्वामी विवेकानन्द का संक्षिप्त भाषण | Swami Vivekananda Short Speech
स्वामी विवेकानन्द भारत के मशहूर वक्ताओं, संतों और दार्शनिकों में से एक हैं। वह रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं, जिसका प्रमुख उद्देश्य दुनिया में वेदांत का संदेश फैलाना और दूसरा भारतीय लोगों की सामाजिक जीवन स्थितियों में सुधार करना। स्वामी विवेकानन्द एक क्रांतिकारी थे जो समाज में परिवर्तन लाने के इच्छुक थे। अपने प्रारंभिक जीवन में, वह 1828 में राम मोहन रॉय द्वारा स्थापित एक धार्मिक आंदोलन, ब्रह्म समाज के सक्रिय सदस्य थे। उन्होंने कई सामाजिक आंदोलनों में भाग लिया और समाज से कम उम्र में विवाह की परंपरा को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। उन्होंने शिक्षा को बढ़ावा दिया स्वामी विवेकानन्द रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। स्वामी विवेकानंद सभी धर्मों की एकता के पक्षधर रहे।
उन्होंने दुनिया को खुले तौर पर बताया कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की राह पर हैं। स्वामी विवेकानन्द के शब्दों के अनुसार, “जिस प्रकार अलग-अलग स्रोत वाली विभिन्न धाराएँ अपना जल समुद्र में मिला देती हैं, उसी प्रकार विभिन्न प्रवृत्तियाँ, भले ही वे टेढ़ी-मेढ़ी या सीधी दिखाई देती हों, लेकिन सभी रास्ते ईश्वर तक ही जाती हैं।
स्वामी विवेकानंद का प्रसिध्द भाषण | Famous Speech of Vivekananda
स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (chicago) (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जिक्र आता है, उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है।
शिकागो में स्वामी विवेकानंद का भाषण
मेरे प्यारे अमेरिका के बहनो और भाइयो,
आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा ह्रदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं । और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी है, जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
स्वामी जी आगे कहते हैं कि, मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है, कि हमने अपने ह्रदय में उन इस्त्राइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर बना दिया था और फिर उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और अभी भी उन्हें पाल-पोस रहा है। भाइयो, मैं आपको एक श्लोक की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा, जिसे मैने बचपन से याद कर रखा और दुहराया है और जो रोज करोड़ों लोगों के द्वारा हर दिन दोहराया जाता है।
Swami Vivekananda Chicago Speech in Hindi
जिस तरह अलग-अलग स्त्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद्र में जाकर मिलती हैं, उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है। वे रास्ते देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें, पर सभी भगवान तक ही जाते हैं। वर्तमान सम्मेलन जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, यह गीता में बताए गए इस सिध्दांत का प्रमाण है कि, “जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं।“
सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसके भयानक वंशज हठधर्मिता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजे में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनास हुआ है और ना जाने कितने देश नष्ट हुए हैं।
अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।
स्वामी विवेकानंद के यादगार भाषण
विवेकानंद पर वेदांत दर्शन, बुध्द के आष्टांगिक मार्ग और गीता के कर्मवाद का गहरा प्रभाव पड़ा। वेदांत, बौध्द और गीता के दर्शन को मिलाकर उन्होंने अपना दर्शन गढ़ा ऐसा नहीं कहा जा सकता। उनके दर्शन का मूल वेदांत और योग ही रहा । विवेकानंद मूर्तिपूजा को महत्व नहीं देते थे, लेकिन वे इसके विरोधी भी नहीं थे। उनके अनुसार, “ईश्वर” निराकार है। ईश्वर सभी तत्वों में निहित एकत्व है। जगत ईश्वर की ही सृष्टि है। आत्मा का कर्तव्य है कि शरीर रहते ही ‘आत्मा के अमरत्व’ को जानना। मनुष्य का चरम भाग्य ‘अमरता की अनुभूति’ ही है। राजयोग ही मोक्ष का मार्ग है। उनके यादगार भाषण ने लोगों का दिल जीत लिया।
FAQ’s Swami Vivekananda Speech in Hindi
Que. स्वामी विवेकानंद के अनुसार ईश्वर कैसा है .
Ans. स्वामी विवेकानंद के अनुसार ईश्वर निराकार है।
Que. स्वामी विवेकानंद ने किसे मोक्ष का मार्ग कहा है ?
Ans. स्वामी विवेकानंद ने राजयोग को मोक्ष का मार्ग कहा है।
Que. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भाषण कब दिया ?
Ans. 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में भाषण दिया था।
Que. स्वामी विवेकानंद के प्रसिध्द भाषण की शुरुआत कैसे हुई ?
Ans. मेरे अमेरिका के भाइयो और बहनों से प्रसिद्ध भाषण की शुरुआत हुई थी।
इस ब्लॉग पोस्ट पर आपका कीमती समय देने के लिए धन्यवाद। इसी प्रकार के बेहतरीन सूचनाप्रद एवं ज्ञानवर्धक लेख easyhindi.in पर पढ़ते रहने के लिए इस वेबसाइट को बुकमार्क कर सकते हैं
Leave a reply cancel reply.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.
Related News
लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण | Lal Bahadur Shastri Speech,10 Lines in Hindi
गांधी जयंती पर भाषण 2023 | Gandhi Jayanti Speech, 10 Lines in Hindi
मई दिवस 2023 पर भाषण | Download Labour Day Speech in PDF | मजदूर दिवस पर 10 लाइनें
मातृ दिवस पर निबंध/भाषण 2023 | Mothers Day Speech/Essay in Hindi
भारत-दर्शन :: इंटरनेट पर विश्व की सबसे पहली ऑनलाइन हिंदी साहित्यिक पत्रिका
Important Links
- Hindi Stories
- Hindi Short Stories
- Hindi Poems
- Hindi Articles
- Childrens Literature
- Authors Collection
- National Anthem
- Hindi Couplets
- Hindi Songs
- Hindi Bhajans
- Childrens Stories
- Childrens Poems
- Panchtantra Stories
- Submit Your Work
- Video Gallery
- About Bharat-Darshan
- About New Zealand
- रोहित कुमार 'हैप्पी' की लघु-कथाएं
- रोहित कुमार 'हैप्पी' की ग़जलें
स्वामी विवेकानन्द का विश्व धर्म सम्मेलन, शिकागो में दिया गया भाषण
स्वामी विवेकानंद.
स्वामी विवेकानंद ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में एक बेहद चर्चित भाषण दिया था। विवेकानंद का जब भी जि़क्र आता है उनके इस भाषण की चर्चा जरूर होती है। पढ़ें विवेकानंद का यह भाषण...
अमेरिका के बहनो और भाइयो, आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा हृदय अपार हर्ष से भर गया है। मैं आपको दुनिया की सबसे प्राचीन संत परंपरा की तरफ से धन्यवाद देता हूं। मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं और सभी जाति, संप्रदाय के लाखों, करोड़ों हिन्दुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मेरा धन्यवाद कुछ उन वक्ताओं को भी जिन्होंने इस मंच से यह कहा कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदूर पूरब के देशों से फैला है। मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते, बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं।
मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूं, जिसने इस धरती के सभी देशों और धर्मों के परेशान और सताए गए लोगों को शरण दी है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने हृदय में उन इस्त्राइलियों की पवित्र स्मृतियां संजोकर रखी हैं, जिनके धर्म स्थलों को रोमन हमलावरों ने तोड़-तोड़कर खंडहर बना दिया था। और तब उन्होंने दक्षिण भारत में शरण ली थी। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूं, जिसने महान पारसी धर्म के लोगों को शरण दी और अभी भी उन्हें पाल-पोस रहा है। भाइयो, मैं आपको एक श्लोक की कुछ पंक्तियां सुनाना चाहूंगा जिसे मैंने बचपन से स्मरण किया और दोहराया है और जो रोज करोड़ों लोगों द्वारा हर दिन दोहराया जाता है: जिस तरह अलग-अलग स्त्रोतों से निकली विभिन्न नदियां अंत में समुद में जाकर मिलती हैं, उसी तरह मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है। वे देखने में भले ही सीधे या टेढ़े-मेढ़े लगें, पर सभी भगवान तक ही जाते हैं।वर्तमान सम्मेलन जोकि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, गीता में बताए गए इस सिद्धांत का प्रमाण है: जो भी मुझ तक आता है, चाहे वह कैसा भी हो, मैं उस तक पहुंचता हूं। लोग चाहे कोई भी रास्ता चुनें, आखिर में मुझ तक ही पहुंचते हैं।
सांप्रदायिकताएं, कट्टरताएं और इसके भयानक वंशज हठधमिर्ता लंबे समय से पृथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं। इन्होंने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है। कितनी बार ही यह धरती खून से लाल हुई है। कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और न जाने कितने देश नष्ट हुए हैं।
अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता, लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है। मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिताओं, हर तरह के क्लेश, चाहे वे तलवार से हों या कलम से और सभी मनुष्यों के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा।
सब्स्क्रिप्शन
भारत-दर्शन का नया रूप-रंग आपको कैसा लगा?
यहाँ क्लिक करके परिणाम देखें
इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें
- जुलाई-अगस्त 2024
- मार्च-अप्रैल 2023
- जनवरी-फरवरी 2023
- नवंबर-दिसंबर 2022
- सितंबर-अक्टूबर 2022
सम्पर्क करें
Phone number.
- Hindi Authors |
- Best Hindi Stories |
- Hindi Literary News |
- Hindi Poems |
- Stories for Kids |
- Hindi Story Collection |
- Hindi Media in New Zealand |
- New Zealand Hindi News |
- The Stats Speak |
- Contact Us |
- Whats App to Us
Bharat-Darshan, Hindi Magazine [ ISSN 2423-0758 ] 2/156, Universal Drive, Henderson, Waitakere -0610, Auckland (New Zealand) Ph:0064-9-837 7052 Fax : 0064-9-837 3285 Mobile :0064 -21-171 3934 E-mail : [email protected]
© Bharat Darshan, 2018-20 | Privacy Policy
© Bharat Darshan, 2018-20
स्वामी विवेकानंद पर भाषण
क्या स्वामी विवेकानंद को किसी परिचय की आवश्यकता है? परिचय की आवश्यकता नहीं है लेकिन मानव जाति के उत्थान और हिंदू धर्म के प्रचार के लिए किए गए उनके महान कार्यों, उदारता का जिक्र करना महत्वपूर्ण है। यदि आप इस महान व्यक्ति के बारे में और अधिक जानना चाहते हैं तो आप स्वामी विवेकानंद पर लिखे इन भाषणों का अध्ययन कर सकते हैं। आपको लंबे भाषणों के साथ-साथ, संक्षिप्त भाषण भी मिलेंगे जो आपको समृद्ध अनुभव देने और चीजों का व्यापक दृष्टिकोण समझने में आसान हैं।
स्वामी विवेकानंद पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Swami Vivekananda)
प्रिय दोस्तों – आप सभी को नमस्कार!
भाषण समारोह में आज इकट्ठा होने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं, आपका मेजबान – आयुषमान खन्ना, आपके लिए स्वामी विवेकानंद के जीवन पर एक भाषण तैयार किया है। आशा है कि आप सभी इस महान व्यक्तित्व के बारे में मेरा भाषण सुनकर उतना आनंद लेंगे जितना मुझे बोलकर आएगा। जो लोग पहले से ही उनके बारे में जानते हैं वे भी मेरे भाषण में अपना योगदान दे सकते हैं और मूल्यवान जानकारी को साझा कर सकते हैं लेकिन जो लोग उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते वे उनके जीवन और गतिविधियों के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
देवियों और सज्जनों स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी को 1863 में हुआ था और 1902 में उनकी मृत्यु हो गई थी। वे श्री रामकृष्ण परमहंस के महान अनुयायी थे। उनके जन्म के समय उन्हें नरेंद्रनाथ दत्ता का नाम दिया गया और उन्होंने रामकृष्ण मिशन की नींव रखी। उन्होंने अमेरिका और यूरोप में वेदांत और योग जैसे हिंदू दर्शन की नीवं रखी। उन्होंने 19वीं शताब्दी के अंत में हिंदू धर्म के अनुसार विश्व धर्म की स्थिति के अनुसार काम किया। समकालीन भारत में हिंदू धर्म के पुनर्जन्म में उन्हें एक प्रमुख शक्ति के रूप में माना जाता है। उन्हें मुख्यतः “सिस्टर्स एंड ब्रदर्स ऑफ़ अमेरिका” पर दिए उनके प्रेरणादायक भाषण के लिए सबसे अच्छी तरह से याद किया जाता है। इसके बाद ही वे 1893 में शिकागो में विश्व धर्मों की संसद में हिंदू धर्म को पेश करने में सक्षम हो सके।
मुझे यकीन है कि आप उनके बचपन के बारे में भी जानने लिए उत्सुक होंगे। उनका जन्म कलकत्ता के शिमला पाली में हुआ था। प्रारंभ में उनका नाम नरेंद्रनाथ दत्ता रखा गया था। विनम्र पृष्ठभूमि उन्हें विरासत में मिली थी जहां उनके पिता कलकत्ता के उच्च न्यायालय में एक वकील थे। उनकी मां का नाम भुवनेश्वरी देवी था। जब नरेंद्रनाथ बड़े हुए तो उन्होंने अपने पिता और माता दोनों के गुणों का मिश्रण प्राप्त हुआ। अपने पिता से उन्होंने तर्कसंगत सोच और अपनी मां से उन्हें धार्मिक स्वभाव तथा आत्म-नियंत्रण की शक्ति प्राप्त हुई। जब नरेंद्र किशोरअवस्था में पहुंचे तो वे ध्यान लगाने में विशेषज्ञ बन गए। वे समाधि अवस्था में आसानी से प्रवेश कर जाते थे। एक बार उन्होंने सोने के बाद एक प्रकाश देखा। जब उन्होंने ध्यान लगाया तो उन्हें बुद्ध का प्रतिबिंब नज़र आया। अपने शुरुआती दिनों से वे घूमने वाले भिक्षुओं और तपस्या में गहरी रुचि रखते थे। वे खेलना और शरारत करना भी पसंद करते थे।
हालांकि उन्होंने समय-समय पर महान नेतृत्व के गुणों का भी प्रदर्शन किया। उनके बचपन के साथी का नाम कमल रेड्डी था। जब वे किशोरवस्था में पहुँचे तो वे ब्राह्मो समाज के संपर्क में आए और अंततः श्री रामकृष्ण से उनकी मुलाकात हुई। इन्हीं श्री रामकृष्ण की वजह से उनकी सोच में बदलाव आया और उनकी मृत्यु के बाद नरेंद्रनाथ ने अपना घर छोड़ दिया। उन्होंने अपना नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद कर लिया और बोरानगर मठ में अपने अन्य शिष्य मित्रों के साथ रहने लगे। बाद में उन्होंने त्रिवेंद्रम पहुँचने तक भारत भर में अपना दौरा किया और आखिरकार वे शिकागो की धर्म की संसद में पहुँचे। वहां उन्होंने एक भाषण को संबोधित किया और दुनिया भर में हिंदू धर्म के लिए प्रशंसा बटोरी।
वे एक महान व्यक्ति थे जिसने मानव जाति और राष्ट्र के उत्थान के लिए बड़े पैमाने पर काम किया था।
सुप्रभात मित्रों – कैसे हैं आप सब?
आशा है कि जितना शिक्षक आनंद ले रहे हैं उतना ही हर कोई अध्यात्म और मेडीटेशन की कक्षाओं का आनंद ले रहा है। आपको मेडीटेशन के अलावा स्वामी विवेकानंद नामक महान आध्यात्मिक गुरु के बारे में जानकारी साझा करना भी महत्वपूर्ण है।
दत्ता परिवार में कलकत्ता में पैदा हुए स्वामी विवेकानंद ने अज्ञेय दर्शन को अपनाया जो विज्ञान में विकास के साथ पश्चिम में प्रचलित थे। साथ ही भगवान के आस-पास के रहस्य को जानने के लिए उनमें एक मजबूत ज़ज्बा था और उन्होंने कुछ लोगों की पवित्र प्रतिष्ठा के बारे में भी संदेह जताया कि क्या किसी ने कभी भगवान को देखा या बात की है।
जब स्वामी विवेकानंद इस दुविधा के साथ संघर्ष कर रहे थे तब वे श्री रामकृष्ण के संपर्क में आए जो बाद में उनके गुरु बन गए और उन्हें अपने सवालों के जवाब खोजने में मदद की, उन्हें भगवान के दर्शन से रूबरू करवाया और उन्हें एक भविष्यवक्ता में बदल दिया या आप क्या कह सकते हैं शिक्षा देने की शक्ति के साथ ऋषि। स्वामी विवेकानंद का व्यक्तित्व इतना प्रेरणादायक था कि वे 19वीं शताब्दी के अंत में और 20वीं शताब्दी के पहले दशक के अंत में ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में खासतौर पर अमेरिका में बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति बन गए।
कौन जानता था कि यह व्यक्तित्व इतने कम समय में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त कर लेगा? भारत से इस अज्ञात भिक्षु को वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित धर्म की संसद में ख्याति प्राप्त हुई। स्वामी विवेकानंद वहां हिंदू धर्म के प्रचार के लिए गए थे तथा उन्होंने आध्यात्मिकता की गहरी समझ सहित पूर्वी और पश्चिमी संस्कृति दोनों पर अपने विचार व्यक्त किए। उनके अच्छी तरह से व्यक्त विचारों ने मानव जाति के लिए सहानुभूति और उनके बहुमुखी व्यक्तित्व ने अमेरिकियों, जिन्होंने उनका भाषण सुना, पर एक अनूठी छाप छोड़ी। जिन भी लोगों ने उन्हें देखा या उन्हें सुना वे तब तक उनकी प्रशंसा करते रहे जब तक वे जीवित रहे।
हमारी महान भारतीय आध्यात्मिक संस्कृति के बारे में ज्ञान फैलाने, विशेष रूप से वेदांतिक स्रोत, के एक मिशन के साथ वे अमेरिका गए थे। उन्होंने वेदांत दर्शन से मानववादी और तर्कसंगत शिक्षाओं की मदद से वहां लोगों की धार्मिक चेतना को जगाने की भी कोशिश की। अमेरिका में उन्होंने भारत को अपने आध्यात्मिक राजदूत के रूप में दर्शाया और ईमानदारी से लोगों से भारत और पश्चिम के बीच पारस्परिक समझ विकसित करने के लिए कहा ताकि दोनों दुनिया एक साथ धर्म और विज्ञान दोनों का एक संघ बना सकें।
हमारी मातृभूमि पर स्वामी विवेकानंद को समकालीन भारत के महान संत और एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जाता है जिसने राष्ट्रीय चेतना को नया आयाम दिया जो पहले निष्क्रिय थी। उन्होंने हिंदुओं को एक धर्म में विश्वास करना सिखाया जो लोगों को ताकत देता है और उन्हें एकजुट करता है। मानव जाति की सेवा को देवता के स्पष्ट अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है और यह प्रार्थना का एक विशेष रूप है जिसे उन्होंने भारतीय लोगों से अपनाने के लिए कहा बजाए अनुष्ठानों और पुरानी मिथकों में विश्वास करने के। वास्तव में विभिन्न भारतीय राजनीतिक नेताओं ने स्वामी विवेकानंद की ओर अपनी ऋणात्मकता को खुले तौर पर स्वीकार किया है।
अंत में मैं केवल इतना कहूंगा कि वे मानव जाति के महान प्रेमी थे और उनके जीवन के अनुभव हमेशा लोगों को प्रेरित करते थे और मनुष्य की भावना प्राप्त करने की इच्छा को नवीनीकृत करते थे।
सम्मानित प्राचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथी छात्रों – आप सभी को सुप्रभात!
मैं साक्षी मित्तल – कक्षा 10वीं से विश्व आध्यात्मिकता दिवस के अवसर पर स्वामी विवेकानंद पर एक भाषण देने जा रही हूं। हम में से कई लोग स्वामी विवेकानंद, जो भारत में पैदा हुए महान आध्यात्मिक किंवदंती हैं, के बारे में बहुत कुछ नहीं जानते। यद्यपि वे जन्म से भारतीय थे फिर भी उनके जीवन का मिशन केवल राष्ट्रीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं था बल्कि इससे कहीं अधिक था। उन्होंने मानव जाति की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया जो निश्चित रूप से राष्ट्रीय सीमाओं से आगे बढ़ा। उन्होंने अस्तित्व के वैदांत संघ के आध्यात्मिक आधार पर मानव भाईचारे और शांति फैलाने के लिए अपने पूरे जीवन में प्रयास किया। उच्चतम आदेश से ऋषि स्वामी विवेकानंद ने वास्तविक, भौतिक संसार के एक एकीकृत और सहज अनुभव के अनुभव को प्राप्त किया। वे अपने विचारों को ज्ञान और समय के उस अद्वितीय स्रोत से प्राप्त करते थे और फिर उन्हें कविता के आश्चर्यजनक रूप में पेश करते थे।
श्री विवेकानंद और उनके शिष्यों की मानवीय प्रवृत्ति से ऊपर उठने और निरपेक्ष ध्यान में विसर्जित रहने की प्राकृतिक प्रवृत्ति थी। हालांकि इससे हम इनकार नहीं कर सकते कि उनके व्यक्तित्व का एक और हिस्सा था जो लोगों की पीड़ा और दुखदाई स्थिति को देखने के बाद उनके साथ सहानुभूति व्यक्त करता था। शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि पूरी मानव जाति की सेवा करने और भगवान की ओर ध्यान लगाने में उनका दिमाग उत्तेजना और बिना आराम करने की स्थिति में रहता था। मानव जाति के लिए उच्च अधिकार और सेवा के लिए उनकी महान आज्ञाकारिता ने उन्हें न केवल मूल भारतीयों के लिए बल्कि विशेष रूप से अमेरिकियों के लिए भी एक प्यारा व्यक्तित्व बना दिया।
इसके अलावा वे समकालीन भारत के शानदार धार्मिक संस्थानों में से एक का हिस्सा थे और उन्होंने रामकृष्ण ऑर्डर ऑफ मोंक्स की स्थापना की। यह न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी विशेषकर अमेरिका में हिंदू आध्यात्मिक मूल्यों के प्रसार के लिए समर्पित है। उन्होंने एक बार खुद को ‘संघनित भारत’ के रूप में संबोधित किया।
उनका शिक्षा और जीवन का मूल्य पश्चिमी लोगों के लिए अतुलनीय है क्योंकि यह उन्हें एशियाई दिमाग का अध्ययन करने में सहायता प्रदान करता है। हार्वर्ड के दार्शनिक यानी विलियम जेम्स ने स्वामी विवेकानंद को “वेदांतवादियों के पैरागोन” के रूप में संबोधित किया। 19वीं शताब्दी के मनाए गए ओरिएंटलिस्ट्स पॉल ड्यूसेन और मैक्स मुलर ने उन्हें महान सम्मान और आदर की भावना के साथ रखा। रेनैन रोलैंड के मुताबिक “उनके शब्द” महान गीतात्मक रचना से कम नहीं हैं जैसे बीथोवेन संगीत है या हैंडल कोरस का मिलता-जुलता संगीत है।
इस प्रकार मैं सभी को स्वामी विवेकानंद के लेखन को पुन: स्थापित करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने का आग्रह करता हूं। उनका काम पुस्तकालय में रखा अनदेखा कीमती रत्न की तरह है इसलिए अपने सुस्त जीवन को छोड़ें और उनके काम और जीवन से प्रेरणा लें।
अब मैं अपने साथी छात्रों से मंच पर आने और उनके विचारों को साझा करने का अनुरोध करूंगा क्योंकि इससे हम सभी को बहुत सहायता मिलेगी।
नमस्कार देवियों और सज्जनों – मैं आज आप सभी का इस भाषण समारोह में स्वागत करता हूं!
मैं अभिमन्यु कश्यप, आज के लिए आपका मेजबान, भारत के महान आध्यात्मिक नेता यानी स्वामी विवेकानंद पर भाषण देना चाहता हूं। इसका उल्लेख करने की जरूरत नहीं कि वे निस्संदेह दुनिया के प्रसिद्ध ऋषि थे। 12 जनवरी 1863 में कलकत्ता शहर में पैदा हुए स्वामी विवेकानंद को अपने प्रारंभिक वर्षों में नरेंद्रनाथ दत्ता से जाना जाता था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता था जो कलकत्ता के उच्च न्यायालय में एक शिक्षित वकील थे। नरेंद्रनाथ को नियमित आधार पर शिक्षा नहीं मिली। हालांकि उन्होंने उपनगरीय क्षेत्र में अपने अन्य दोस्तों के साथ एक स्कूल में अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की।
बुरे बच्चों के साथ के डर की वजह से नरेंद्रनाथ को उच्च माध्यमिक विद्यालय में जाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन उन्हें फिर से मेट्रोपॉलिटन इंस्टीट्यूशन भेजा गया जिसकी नींव ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने रखी थी। उनके व्यक्तित्व में विभिन्न श्रेणियां थी यानी वे न केवल एक अच्छे अभिनेता थे बल्कि एक महान विद्वान, पहलवान और खिलाड़ी भी थे। उन्होंने संस्कृत विषय में महान ज्ञान प्राप्त किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह सच्चाई की राह पर चलने वाले थे और उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला।
हम सभी जानते हैं कि हमारी मातृभूमि पर महान सामाजिक सुधारकों के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानियों ने भी जन्म लिया है। उन्होंने मानव जाति की सेवा के लिए अपने पूरे जीवन को समर्पित किया और स्वामी विवेकानंद भारत के उन्हीं सच्चे रत्नों में से एक हैं। उन्होंने देश की सेवा के लिए अपना पूरा जीवन त्याग दिया और लोगों की उनकी दुखी स्थिति से ऊपर उठने में मदद की। परोपकारी कार्य करने के अलावा वे विज्ञान, धर्म, इतिहास दर्शन, कला, सामाजिक विज्ञान इत्यादि पर लिखी किताबें पढ़ कर अपना जीवन जीते थे। साथ ही उन्होंने महाभारत, रामायण, भगवत-गीता, उपनिषद और वेदों जैसे हिंदू साहित्य की भी प्रशंसा की जिसने काफी हद तक उनकी सोच को सही आकार देने में मदद की। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने ललित कला की परीक्षा उत्तीर्ण की और वर्ष 1884 में बैचलर ऑफ आर्ट्स में डिग्री प्राप्त की।
उन्होंने हमेशा वेद और उपनिषदों को उद्धृत किया और उन लोगों को आध्यात्मिक प्रशिक्षण दिया जो भारत में संकट या अराजकता की स्थिति पनपने से रोकते थे। इस संदेश का निचोड़ यह है कि “सत्य एक है: ऋषि इसे विभिन्न नामों से बुलाते हैं”।
इस सिद्धांतों के चार मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- आत्मा की दिव्यता
- सर्वशक्तिमान ईश्वर का दोहरा अस्तित्व
- धर्मों में एकता की भावना
- अस्तित्व में एकता
आखिरी बार जो शब्द उनके अनुयायियों को लिखे गए थे वे इस प्रकार थे:
“ऐसा हो सकता है कि मैं अपना शरीर त्याग दूँ और इसे पहने हुए कपड़े की तरह छोड़ दूँ। लेकिन मैं काम करना बंद नहीं करूँगा। मैं हर जगह मनुष्यों को प्रेरित करूंगा जब तक कि पूरी दुनिया को यह नहीं पता कि भगवान शाश्वत सत्य है।”
वे 39 साल की छोटी अवधि के लिए जीवित रहे और अपनी सभी चुनौतीपूर्ण भौतिक स्थितियों के बीच उन्होंने अपनी भावी पीढ़ियों के लिए चार खंडों की कक्षाओं को छोड़ दिया यानी भक्ति योग, ज्ञान योग, राजा योग और कर्म योग – ये सभी हिंदू फिलोस्फ़ी पर शानदार ग्रंथ हैं। और इसके साथ मैं अपना भाषण समाप्त करना चाहता हूं।
संबंधित पोस्ट
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर भाषण
बाल दिवस पर भाषण
बाल मजदूरी पर भाषण
खेल पर भाषण
क्रिसमस पर भाषण
बॉस के लिए विदाई भाषण
Leave a comment.
Your email address will not be published. Required fields are marked *
IMAGES
VIDEO
COMMENTS
स्वामी विवेकानंद ने 25 साल की आयु में गेरुआ वस्त्र धारण कर लिया था। इसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे भारत की यात्रा की। विवेकानंद ने 31 मई को मुंबई से अपनी विदेश यात्रा शुरू की। मुंबई से वह …
Swami Vivekananda Speech: पढ़िए स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए महान भाषण के मुख्य अंश. विश्व धर्म परिषद में अपने भाषण के प्रारंभ में जब स्वामी विवेकानंद ने अमेरिकी भाइयों और बहनों कहा तो …
यह भाषण स्वामी विवेकानंद द्वारा 11 सितंबर 1893 को विश्व धर्म संसद, शिकागो, अमेरिका में दिया गया था ।.
Swami Vivekanand. India. America. Follow IndiaTV on WhatsApp. सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले विवेकानंद का जिक्र जब कभी भी आएगा उनके अमेरिका में दिए गए यादगार भाषण की चर्चा जरूर होगी। यह एक …
स्वामी विवेकानंद ने अपने ऐतिहासिक शिकागो भाषण (swami vivekananda speech on zero in hindi) में सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार शून्य की व्याख्या करते हुए कहा ...
In this video i described about swami vivekananda and his speech in america in chicago on zero. This video shows why swami vivekananda started his speech fro...
Swami Vivekananda Speech: स्वामी विवेकानंद कोलकाता में जन्मे देश के महान सामाजिक नेताओं में से एक माने जाते हैं। यह एक आध्यात्मिक गुरु होने के साथ-साथ इस भक्ति एवं कुशल वक्ता थे। यह 25 …
स्वामी विवेकानन्द का 11 सितंबर 1893 को शिकागो (अमेरिका) में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में संबोधन भाषण। Addresses at the Parliament of Religions, Chicago by Swami Vivekananda.
स्वामी विवेकानंद पर भाषण: यहाँ छोटा और बड़ा आसान शब्दों में बच्चों और विद्यार्थियों के लिये भाषण प्राप्त करे। Long and Short Swami Vivekananda Speech in …
प्रश्न: “यदि कोई व्यक्ति केवल अपने धर्म के अनन्य अस्तित्व और दूसरों के धर्म के विनाश का स्वप्न रखता है, तो मैं हृदय की गहराइयों से उसे दया भाव से देखता हूँ।” इस …