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National Flag Essay in Hindi: भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज 'तिरंगा' पर निबंध हिन्दी में

Essay on national flag हिन्दी में: 78वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस, 2024 के अवसर पर, यहां भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर लंबे और छोटे निबंध प्राप्त करें। निबंध स्कूली छात्रों और बच्चों के लिए हिन्दी में दिए गए हैं।.

Akshita Jolly

National Flag of India Essay in Hindi: इस 15 अगस्त 2024 को हम ब्रिटिश राज से मिली आजादी का जश्न मनाते हुए 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे। विद्यार्थियों और बच्चों को यह अवश्य सीखना चाहिए कि देश की आजादी के लिए अनेक लोगों ने क्या प्रयास किये। सबसे अच्छा तरीका यह है कि उन्हें उस संघर्ष के बारे में बताया जाए जिसने भारत को ब्रिटिश राज से आजादी दिलाई और उन्हें भारतीय स्वतंत्रता दिवस और राष्ट्रीय ध्वज के बारे में एक निबंध लिखने के लिए भी कहा। भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए नीचे दिए गए उदाहरणों का उपयोग करें।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay On National Flag In Hindi (100 Words)

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, हमारे देश की पहचान और गौरव का प्रतीक है। इसमें तीन रंग हैं - केसरिया, सफेद और हरा। केसरिया रंग त्याग का, सफेद रंग शांति का और हरा रंग हरियाली व विकास का प्रतीक है। ध्वज के मध्य में नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तीलियाँ हैं, जो धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने का प्रतीक है। तिरंगा हमें एकता, स्वतंत्रता और देशभक्ति की भावना को सजीव करता है। इसे फहराना हमारे लिए गर्व और सम्मान की बात है। तिरंगा हमारे देश की शान और गौरव का प्रतीक है। तिरंगे का सम्मान करना हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है, और हमें इस पर गर्व होना चाहिए कि हम एक स्वतंत्र और महान देश के नागरिक हैं।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay On National Flag In Hindi (150 Words)

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, हमारे देश की स्वतंत्रता, एकता और गौरव का प्रतीक है। इसे 22 जुलाई 1947 को भारत के संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। तिरंगे में तीन रंग हैं - केसरिया, सफेद और हरा। केसरिया रंग त्याग और बलिदान का प्रतीक है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का, और हरा रंग हरियाली और विकास का। ध्वज के मध्य में नीले रंग का अशोक चक्र स्थित है, जिसमें 24 तीलियाँ हैं। यह चक्र सम्राट अशोक के स्तम्भ से लिया गया है और यह धर्म, न्याय और प्रगति का प्रतीक है।

तिरंगा हमें हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता और एकता को याद दिलाता है। इसे फहराना हमारे लिए गर्व और सम्मान की बात है। तिरंगा न केवल हमारे राष्ट्र की पहचान है, बल्कि यह हमें हमारी जिम्मेदारियों और देशभक्ति की भावना को सजीव करने की प्रेरणा भी देता है। इसका सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay On National Flag In Hindi (200 Words)

भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा कहा जाता है, हमारे देश की पहचान और गौरव का प्रतीक है। यह ध्वज 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था और इसे पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था। तिरंगा में तीन क्षैतिज रंग पट्टियाँ हैं - सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग।

केसरिया रंग त्याग, साहस और बलिदान का प्रतीक है। यह हमें देश के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा करने की प्रेरणा देता है। सफेद रंग शांति, सच्चाई और पवित्रता का प्रतीक है। यह हमें सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। हरा रंग हरियाली, उन्नति और समृद्धि का प्रतीक है, जो हमारे देश के विकास को दर्शाता है।

ध्वज के बीच में स्थित नीले रंग का अशोक चक्र धर्म और न्याय का प्रतीक है। इसमें 24 तीलियाँ हैं, जो 24 घंटे का प्रतीक हैं और यह हमें निरंतर कर्म करने की प्रेरणा देती हैं।

राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की एकता, अखंडता और स्वतंत्रता का प्रतीक है। इसे फहराना और इसका सम्मान करना हर भारतीय का कर्तव्य है। तिरंगा हमें देशभक्ति, साहस और समर्पण की भावना को सजीव रखने की प्रेरणा देता है। इसके प्रति हमारा सम्मान और गर्व हमें एक मजबूत और एकजुट राष्ट्र बनाता है।

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भारतीय तिरंगे का इतिहास

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प्रत्‍येक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का अपना एक ध्‍वज होता है। यह एक स्‍वतंत्र देश होने का संकेत है। भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज को इसके वर्तमान स्‍वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्‍त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्‍वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्‍त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्‍चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में "तिरंगे" का अर्थ भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज है।

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की प‍ट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्‍वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्‍य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्‍तंभ पर बना हुआ है। इसका व्‍यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।

ध्‍वज के रंग

भारत के राष्‍ट्रीय ध्‍वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्‍य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है।

इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गति‍शील है और रुकने का अर्थ मृत्‍यु है।

ध्‍वज संहिता

26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्‍वज संहिता में संशोधन किया गया और स्‍वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्‍ट‍री में न केवल राष्‍ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्‍ट्रीय झंडे को शान से कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है। बशर्ते कि वे ध्‍वज की संहिता का कठोरता पूर्वक पालन करें और तिरंगे की शान में कोई कमी न आने दें। सुविधा की दृष्टि से भारतीय ध्‍वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। संहिता के पहले भाग में राष्‍ट्रीय ध्‍वज का सामान्‍य विवरण है। संहिता के दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्‍थानों आदि के सदस्‍यों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है। संहिता का तीसरा भाग केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के प्रदर्शन के विषय में जानकारी देता है।

26 जनवरी 2002 विधान पर आधारित कुछ नियम और विनियमन हैं कि ध्‍वज को किस प्रकार फहराया जाए:

indian national flag essay on hindi

क्‍या करें:

  • राष्‍ट्रीय ध्‍वज को शैक्षिक संस्‍थानों (विद्यालयों, महाविद्यालयों, खेल परिसरों, स्‍काउट शिविरों आदि) में ध्‍वज को सम्‍मान देने की प्रेरणा देने के लिए फहराया जा सकता है। विद्यालयों में ध्‍वज आरोहण में निष्‍ठा की एक शपथ शामिल की गई है।
  • किसी सार्वजनिक, निजी संगठन या एक शैक्षिक संस्‍थान के सदस्‍य द्वारा राष्‍ट्रीय ध्‍वज का अरोहण/प्रदर्शन सभी दिनों और अवसरों, आयोजनों पर अन्‍यथा राष्‍ट्रीय ध्‍वज के मान सम्‍मान और प्रतिष्‍ठा के अनुरूप अवसरों पर किया जा सकता है।
  • नई संहिता की धारा 2 में सभी निजी नागरिकों अपने परिसरों में ध्‍वज फहराने का अधिकार देना स्‍वीकार किया गया है।

क्‍या न करें:

  • इस ध्‍वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्‍त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्‍त तक फहराया जाना चाहिए।
  • इस ध्‍वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्‍पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता।
  • किसी अन्‍य ध्‍वज या ध्‍वज पट्ट को हमारे ध्‍वज से ऊंचे स्‍थान पर लगाया नहीं जा सकता है। तिरंगे ध्‍वज को वंदनवार, ध्‍वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता।

अधिक जानकारी के लिए भारतीय ध्‍वज संहिता देखें

भारतीय राष्‍ट्रीय ध्‍वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्‍ट्रीय गर्व का प्रतीक है। पिछले पांच दशकों से अधिक समय से सशस्‍त्र सेना बलों के सदस्‍यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की पूरी शान को बनाए रखने के लिए निरंतर अपने जीवन न्‍यौछावर किए हैं।

भारत के बारे में

भारत विश्‍व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें बहुरंगी विविधता और समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत है। इसके साथ ही यह अपने-आप को बदलते समय के साथ ढ़ालती भी आई है। आज़ादी पाने के बाद भारत ने बहुआयामी सामाजिक और आर्थिक प्रगति की है। भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। विश्‍व का सातवां बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। उत्तर में बृहत् पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

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भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on National Flag in Hindi

नमस्कार आज का निबंध, भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on National Flag in Hindi पर दिया गया हैं.

स्कूल स्टूडेंट्स के लिए भारतीय ध्वज तिरंगा पर सरल भाषा निबंध दिया गया हैं. नेशनल फ्लैग निबंध में हम तिरंगे के इतिहास महत्व से जुडी जानकारी प्राप्त करेंगे.

भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on National Flag in Hindi

हर आजाद मुल्क की पहचान उनके राष्ट्र ध्वज (national flag) से होती हैं, एक स्वतंत्र राष्ट्र ही अपना झंडा रखता हैं, जो उसकी स्वतन्त्रता का प्रतीक भी समझा जाता हैं.

भारत का राष्ट्रीय ध्वज (our national flag) तिरंगा हैं, जिन्हें भारत की आजादी के 22 दिन पहले 22 जुलाई 1947 को सविधान सभा द्वारा मंजूरी मिली थी.

इसी तिरंगे को पहली बार 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से फहराया गया था. आम बोलचाल की भाषा में हम अपने राष्ट्रिय ध्वज को तिरंगा झंडा ही कहते हैं.

इसका इतिहास (indian flag history ) कई चरणों से होकर गुजरा कई प्रस्तावों के समन्वय से तीन रंग और अशोक चक्र के इस रूप को अपनाया गया.

भारत का राष्ट्रीय ध्वज के बारे में जानकारी- Indian Flag In Hindi

हमारा राष्ट्रिय ध्वज हमारे लोगों की आशाओं और इनकी आकांक्षाओ को प्रदर्शित करता हैं. इसी तिरंगे ध्वज की शान को बनाए और बचाएँ रखने के लिए स्वतन्त्रता के बाद कई सैनिको और देशभक्त नागरिकों ने अपनी जानें कुर्बान की हैं, मेरी शान हैं तिरंगा, मेरी जान हैं तिरंगा के उद्गोष इसी अपार प्रेम को दर्शाते हैं.

स्वतंत्रता आन्दोलन में अहम भूमिका निभाने वाली भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस का पार्टी झंडा भी तीन रंगो से निर्मित हैं.

केसरिया सफ़ेद हरा तीनों रंगो से बना यह भारतीय ध्वज – Indian Flag अपने देश की एकता अखंडता, पवित्रता,  भाईचारे को निरंतर बनाएँ रखते हुए, अशोक का चक्र लगातार सत्य की राह पर बढ़ते रहने का संदेश देता हैं.

Indian Flag History In Hindi (भारतीय ध्वज का इतिहास)

तिरंगे का इतिहास भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ चलता रहा. आज हमे जानना चाहिए, आखिर किस तरह उपर केसरिया रंग मध्य में सफ़ेद और निचे हरे रंग और बिच में अशोक चक्र को ही हमारा राष्ट्रिय ध्वज बनाने का प्रस्ताव किसने और कब दिया.

पूरा घटनाक्रम (Indian Flag history) में.हमारे देश का पहला ध्वज 7 अगस्त 1906 कलकता में फहराया गया था. जिनमे भी तीन रंग ही थे. लाल, पिला और हरा.

इसी के अगले वर्ष पेरिस के एक स्थल पर कुछ भारतीय स्वतंत्रता सैनानियो द्वारा ठीक इसी तरीके के ध्वज को फहराया गया जो कलकता में पहली बार फहरा था.

इस पहले भारत के ध्वज में उपरी लाल पट्टी में एक कमल और मध्य की पिली क्षैतिज पट्टिका में सात सारे बने हुए थे, जो सप्तऋषयो के महत्व को प्रदर्शित करते थे.

इसके पश्चात पहले विश्व युद्ध के दौरान भारतीय ध्वज का एक नया स्वरूप सामने आया, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक की अनुद्श पर बने इस झंडे में नौ तिरछी पट्टिकाए थी.

जिनमे 5 लाल और 4 हरे रंग की थी. इसके अतिरिक्त इसमे सात सितारों के साथ ही जैक आधा चन्द्रमा और सितारों के प्रतीक भी थे.

इसके बाद वर्ष 1921 में कोंग्रेस के राष्ट्रिय अधिवेशन में एक नवयुवक ने केसरिया और हरे रंगे के झंडे का प्रारूप था, जिनका संकेत हिन्दू मुस्लिम एकता पर था.

इस पर राष्ट्रपिता ने अन्य धर्मो के प्रतीक के रूप में सफ़ेद रंग की पट्टी और चरखा रखने का सुझाव दिया. इस तरह के स्वरूप में पहली बार 1931 में केसरिया सफेद और हरे रंग की पट्टिकाओ के साथ गाँधी के चरखे के ध्वज को राष्ट्रिय ध्वज की मान्यता दी गयी.

22 जुलाई 1947 को इसे पारित करने से पूर्व चरखे को हटाकर सम्राट अशोक के प्रगति चक्र को शामिल किया गया.

Indian National Flag Colors Meaning (इंडियन फ्लैग कलर्स मीनिंग)

National flag colors – केसरिया.

केसरिया कहे या गहुआ,भगवा हिन्दू धर्म की आस्था का केंद्र हैं, युद्ध के समय केसरिया रंग शोर्य और वीरता की निशानी समझा जाता हैं.

हमारी परम्परा और वर्षो से चली आ रही एकता का भी संकेत हैं. भारतीय राष्ट्रिय ध्वज का केसरिया रंग इस देश के नागरिको को त्याग,देशभक्ति, साहस और शक्तिवान बनने की प्रेरणा देता हैं.

National Flag Colors – सफेद

हमारे राष्ट्रिय ध्वज की मध्य की पट्टी सफ़ेद रंग की हैं, श्वेत रंग को पवित्रता और शांति का प्रतीक समझा जाता हैं.

जैन, सिख और बोद्ध धर्म में इस रंग का धार्मिक महत्व भी हैं. बुद्ध और गाँधी की भारतभूमि पर हमे सफ़ेद रंग शांति, अहिंसा और पवित्रता का संदेश देता हैं.

National Flag Colors – हरा

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज की तीसरा भाग हरे रंग का हैं, जो हरियाली समर्धि, भाईचारे का प्रतीक हैं. हरी भरी भूमि और ख़ुशी के माहौल का संकेत करता हैं. मुस्लिम धर्म में इस रंग का बड़ा धार्मिक महत्व भी हैं.

हरा रंग हमे देश के लोगों के लिए सुख सम्रद्धि और भाईचारे को बनाएँ रखने का संदेश देता हैं.

Ashok Chakra Information In Hindi (भारत का राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र)

प्रसिद्ध सम्राट अशोक द्वारा निर्मित सारनाथ मन्दिर से Ashok Chakra को लिया गया हैं. Ashok Chakra भारतीय ध्वज में सफ़ेद रंग में बना हुआ हैं, जिन्हें प्रगति चक्र के नाम से भी जाना जाता हैं.

अशोक चक्र भारतीय को निरंतर आगे बढ़ते रहने का संदेश देता हैं, बढ़ते रहना ही जिन्दगी हैं. रुकना मौत के समान हैं.साइकिल के पहिये जैसा यह अशोक चक्र 24 तीलियों से मिलकर बना हैं.

जो हमे एकता बनाएँ हुए आगे बढ़ते रहने की सीख देता आया हैं. इसे समय का प्रतीक भी माना जाता हैं. इसकी 24 तीलियों को समय के 24 घंटो के लिए प्रतीक भी माना जाता हैं.

Indian Flag Rules For Use In Hindi (भारतीय ध्वज संहिता / तिरंगा नियम)

से इंडियन फ्लैग कोड भी कहा जाता हैं. भारतीय ध्वज संहिता-2002 को देश की संसद द्वारा वर्ष 2002 में पारित किया गया हैं.

इस सहित के आधार पर हम अपने राष्ट्रिय झंडा (ध्वज) का उपयोग कब और कहाँ कर सकते हैं. इसकी पूरी व्याख्या की गईं. तिरंगे नियम की अवमानना करने पर सजा का भी प्रावधान हैं. मगर यह हमारे देश का गौरव हैं. हमे ध्वज सहिता के नियमों को जानना चाहिए

तथा इसकी अनुपालना करने के साथ ही कोई ऐसा नही करता हैं तो उन्हें भी इस बारे में अवगत करवाएं.

  • तिरंगा झंडा ऐसी जगह फहराएं, जहाँ से सभी को स्पष्ट रूप से दिख सके.
  • यदि राष्ट्रिय ध्वज मैला हो जाए अथवा फट जाएं तो किसी सुनसान स्थान पर इन्हे जला दे.
  • झंडे के मूल प्रारूप के साथ छेड़छाड़ ना करे( इस पर कुछ न तो लिखे न प्रिंट करे)
  • तिरंगे झंडे को सूर्य डूबने से पूर्व उतार लेना चाहिए.
  • किसी परिस्थति वंश कार्यक्रम में रात को भी फहरा सकते हैं.
  • यदि शंखनाद के साथ तिरंगा फहराया जाता हैं. तो इसे इन्ही के साथ उतरना चाहिए.
  • फहराते समय तीव्रता से झंडे को फहराएं जबकि उतारते समय पूर्ण आराम के साथ.
  • एकदम साफ़ और बिना फटा झंडा ही फहराना चाहिए.
  • मंच पर झंडा श्रोताओं के दाहिनी ओर हो.
  • ध्वज को तिरछा या किसी दीवार के सहारे न फहराएँ.
  • गाडी पर उपयोग करने के लिए आगे मध्य में रखते हुए उसकी हिफाजत करे.

Indian Flag Slogan In Hindi ( भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर नारे)

भारत का तिरंगा केवल वह नही जिन्हें लोग राजनैतिक अंदाज़ से देखते है। बल्कि भारत का तिरंगा झंडा ही हमारी राष्ट्रिय एकता और पहचान का प्रतिक है।
एक राष्ट्र के रूप में हमारे जीवन की पूरी प्रेरणा इस तिरंगे ध्वज के लहराते सिलवटों से बहती है।
यदि कोई व्यक्ति हमारे ध्वज का अर्थ मुझसे पूछता है, तो मैं उसे कहता हूं- इसका मतलब है कि कॉनकॉर्ड और लेक्सिंगटन का मतलब क्या है; क्या बंकर हिल का मतलब था; जो कि संक्षेप में, एक शूरवीर युवा लोगों की उम्र बढ़ने के लिए एक पुरानी अत्याचार के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत स्थापित करने के लिए, जो कि दुनिया को कभी भी जाना जाता था – पुरुषों के अपने-अपने और स्वयं के अधिकारों का अधिकार जब भी झंडा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहाँ से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
आप एक भव्य पुराने ध्वज हैं, आप एक उच्च उड़ान ध्वज हैं, और हमेशा के लिए शांति में आप लहर कर सकते हैं।
राष्ट्रभक्ति और देश का शहरी बनने से कुछ ज्यादा प्रसन्नता देश के राष्ट्रिय ध्वज को फहराने में है।

Indian Flag Quick Information And Fact ( इंडियन नेशनल फ्लैग इनफार्मेशन)

  • भारत के राष्ट्रिय ध्वज का क्या नाम हैं- तिरंगा
  • तिरंगे में कौन-कौनसे रंग हैं- केसरिया, सफेद, हरा.
  • हमारा तिरंगा किसका प्रतीक हैं- भारत का चिह्न और पहचान.
  • तिरंगे को भारत का राष्ट्रिय ध्वज कब स्वीकार (अगिकृत) किया- 22 जुलाई 1947
  • तिरंगे झंडे के अधिकल्पनाकर्ता कौन थे-पिंगली वैंकैया
  • राष्ट्रिय ध्वज की लम्बाई चौड़ाई का अनुपात क्या हैं- 3:2 (लम्बाई,चौड़ाई)
  • अशोक चक्र किसका प्रतीक हैं- प्रगति का.
  • अशोक चक्र कहा से लिया गया हैं.- अशोक के सारनाथ मन्दिर से.
  • तिरंगे झंडे के अशोक चक्र में कितनी तीलियाँ हैं- 24
  • भारत का राष्ट्रिय ध्वज कब फहराया जाता हैं- 15 अगस्त, 26 जनवरी और अन्य राष्ट्रिय महत्व के कार्यो में.
  • तिरंगा झंडा किस कपड़े से बनवाए- खादी
  • तिरंगे झंडे के निर्माण का टेंडर किसके पास हैं-कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ
  • इंडियन नॅशनल फ्लैग के नियम किस नाम से जाने जाते हैं- नेशनल फ्लैग कोड

Facts about Indian National Flag ( तिरंगे से जुड़े हुए रोचक तथ्य और जानकारी)

  • इन्डियन फ्लैग कोड 2002 की अनुपालना न करने पर जेल की सजा भुगतनी पड सकती हैं.
  • भारत का ध्वज रेशम और खादी के कपडे से ही बनाया जाता हैं.
  • कोलकाता के हुगली में ही एकमात्र स्थान पर तिरंगे का उत्पादन और आपूर्ति होती हैं.
  • निजी उपयोग के लिए तिरंगे का उपयोग नही कर सकते.
  • किसी उत्पाद अथवा वस्तु के लिए तिरंगे झंडे का विज्ञापन नही दिया जा सकता.
  • राष्ट्रिय शोक अवसर पर भारत के ध्वज को आधा झुकाकर फहराया जाता हैं.
  • तिरंगे को जमीन पर गिराना अपराध हैं.
  • किसी शहीद सिपाही के साथ के तिरंगे को उनकी पार्थिव देह के साथ ही संस्कार करना चाहिए.
  • संजय थापर नामक देशभक्त से वायुयान से 10 हजार की फिट की से कूदकर उत्तरी धुर्व पर फहराया था.
  • राकेश शर्मा ने तिरंगे को सबसे पहले अन्तरिक्ष की यात्रा करवाई थी.

Essay On Indian National Flag In Hindi Language भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध

राष्ट्र ध्वज पूरे देश का गौरव हैं. भारत का राष्ट्र ध्वज भारत के लोगों की आशाओं आकांक्षाओं का प्रतिरूप हैं. भारत के प्रत्येक नागरिक के मन में राष्ट्र ध्वज के लिए प्रेम, आदर एवं निष्ठां हैं

परन्तु अक्सर यह देखने में आता हैं कि राष्ट्र ध्वज फहराने के लिए जो नियम, रिवाज एवं औपचारिकताएं बनाई गई हैं, उनकी जानकारी आम जनता को नहीं हैं.

सरकार द्वारा समय समय पर जारी निर्देशों संप्रतीक और नाम अधिनियम 1950 तथा राष्ट्र गौरव अपना निवारण अधिनियम 1971 के उपबन्धों के तहत राष्ट्र ध्वज का प्रदर्शन नियंत्रित होता हैं.

इसी के साथ सभी के मार्गदर्शन और हितों के लिए राष्ट्र ध्वज संहिता 2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया हैं.

राष्ट्र ध्वज की आवश्यक विशिष्टियाँ

  • भारतीय राष्ट्र ध्वज पर तीन अलग अलग रंगों की पट्टियाँ समान चौड़ाई की आयताकार हैं. सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी और हरे रंग की पट्टी हैं. बीच की पट्टी सफ़ेद रंग की हैं. जिसके बीचोबीच बराबर की दूरी पर नीला रंग में चौबीस धारियों वाला अशोक चक्र बना हैं.
  • यह राष्ट्र ध्वज हाथ से काते गये एव हाथ से बुने गये खादी के कपड़ों से बनाया गया हैं.
  • राष्ट्र ध्वज का आकार आयताकार होता हैं. झंडे की लम्बाई, ऊँचाई का अनुपात 2:3 होगा.

राष्ट्र ध्वज के प्रदर्शन के लिए संप्रतीक और नाम अधिनियम 1950 तथा राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के अंतर्गत निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक हैं.

  • झंडे का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा.
  • झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाएगा. सिवाय उन अवसरों के जिनसे सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किये गये हो.
  • किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी के भाग में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा, ना ही तकियों, रूमाल, नेपकिन अथवा किसी ड्रेस सामग्री पर इसे काढ़ा अथवा मुद्रित किया जाएगा.
  • झंडे पर किसी प्रकार के अक्षर नहीं लिखे जाएगे.
  • झंडे का प्रयोग ना तो व्यक्ति की मेज को ढकने और ना ही वक्ता के मंच को सजाने के लिए किया जाएगा.
  • झंडे को जानबुझकर जमीन अथवा फर्श को छूने अथवा पानी में घसीटने नहीं दिया जाएगा.

इसी प्रकार राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 में यह प्रावधान किया गया हैं कि कोई भी व्यक्ति राष्ट्र ध्वज एवं भारत के संविधान का अपमान करेगा उसे तीन साल तक की सजा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा.

उक्त अधिनियम की धारा 3 में भी यह प्रावधान किया गया हैं कि जो कोई राष्ट्रगान को गाने से रोकता हैं या उसमें किसी तरह की रूकावट पैदा करता हैं तो उसे तीन साल की सजा या जुर्माने से दंडित किया जाएगा.

इंडियन नैशनल फ्लैग डिज़ाइन Indian National Flag Design In Hindi

हमारे राष्ट्रिय ध्वज तिरंगे की डिजाइन का कार्य आंध्रप्रदेश के मूल निवासी और सच्चे देशभक्त एग्रीकल्चर साइंटिस्ट श्री पिंगली वैंकैया द्वारा की गईं थी. इससे पूर्व तक भारत में समय के साथ-साथ अलग अलग रंगो और डिजाइन के तिरंगे का उपयोग होता था.

श्री पिंगली वैंकैया ने 1921 के आस-पास स्वय को सोच से राष्ट्रिय ध्वज की डिजाइन की और इन्हे महात्मा गाँधी के साथ साझा गया.

राष्ट्रपिता को यह तिरंगे की डिजाइन बेहद रास आई और 1921 के राष्ट्रिय कांग्रेस अधिवेशन में इन्होने यह बात सभी के साथ साझा की.

पिंगली वैंकैया जी द्वारा दी गईं डिजाइन में भारतीय ध्वज दो रंगो का था. जो आज भी हैं केसरिया, और हरा. महात्मा गाँधी उन दिनों देशभर में स्वदेशी आन्दोलन की बात कर रहे थे तभी उन्होंने इस झंडे के मध्य में अपना चरखा लगाने का सुझाव भी दिया था.

आजादी के कई वर्षो तक चरखे के साथ इंडियन नैशनल फ्लैग डिज़ाइन थी. 22 जुलाई 1947 को इस झंडे को राष्ट्रिय ध्वज घोषित करने के साथ ही चरखे का स्थान अशोक के सारनाथ मन्दिर से लिए गये अशोक चक्र को प्रदान किया गया.

वैंकया के मन में भारत के प्रति असीम श्रद्धा और देशभक्ति का भाव था,इन्होने भारतीय ध्वज की डिजाइन के प्रारूप के लिए पांच वर्षो में 30 से अधिक देशो की यात्रा कर उन देशो के नेशनल फ्लैग के बारे में गहन शोध किया.

राष्ट्र की एकता, अखंडता, शांति और सद्भाव जैसे मूल्यों को समाहित करते हुए इन्होने बड़े यत्न से तीन रंगो के तिरंगे का फौर्मुला तैयार किया और देश के दिग्गज नेताओ के साथ प्रस्तुत किया.

Who Designed Indian National Flag In Hindi

  • डिजायनर-पिंगली वैंकैया
  • प्रारूप & रंग- केसरिया, सफेद और हरा
  • निर्माण वर्ष- 1916 से 1921
  • प्रस्तुती-1921,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस वार्षिक अधिवेशन (विजयवाड़ा)
  • संशोधन- मध्य में चरखा और बाद में अशोक चक्र
  • ध्वज के लिए उपयोग किया गया कपड़ा- खादी
  • स्वीकार्य- 1931 कराची अधिवेशन
  • देश के राष्ट्रध्वज के रूप में – 22 जुलाई 1947
  • आधार- धार्मिक सद्भाव हिन्दू (केसरिया) मुस्लिम (हरा)

माना जाता है भारत के ध्वज की पहली तस्वीर 1904 में भगिनी निवेदिता ने प्रस्तुत किया था. ये स्वामी विवेकानंद जी की भत्रीजी थी.

इसके बाद कलकता के कांग्रेस अधिवेशन 1905 में भी सात सितारे और कमल सहित ध्वज प्रस्तुत किया गया था.

इसके दो साल पश्चात ही पेरिस में रह रहे भारतीय देशभक्तों द्वारा इन्हे रूप दिया गया था. इस ध्वज की डिजाइन और कलकता में बनाएँ गये ध्वज में लगभग समानताएं थी.

ध्वज डिजाइन प्रक्रिया में 1917 में तिलक जी ने 9 रंगो का एक ध्वज प्रस्तुत किया था. जिनमे लाल और हरे रंगो का समिश्रण था.

वर्ष 1921 में पिंगली वैंकैया द्वारा प्रस्तुत की नई नेशनल फ्लैग डिजाइन को सभी कांग्रेसी लीडर्स ने सर्वसम्मति से अनुमति दे दी थी. जिसके बाद इसी फ्लैग डिजाइन को हमारे राष्ट्र ध्वज के रूप में रूपांतरित किया गया था.

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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज इतिहास महत्त्व निबंध Indian National Flag history Essay Significance in Hindi

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज  इतिहास व महत्त्व, निबंध ( Indian National Flag Essay history and  Significance in hindi )

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज हमारी स्वाधीनता का प्रतीक  है. देश में अपना ध्वज लहराने का मतलब है कि वो देश आजाद है. आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने कहा था ‘राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ हमारी स्वतंत्रता नहीं है, बल्कि ये देश की समस्त जनता की स्वतंत्रता का प्रतीक है.’ भारतीय लॉ के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज खादी के कपड़े का होना चाहिए. शुरुआत में राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल आम नागरिकों द्वारा सिर्फ राष्ट्रीय दिवस जैसे स्वतंत्रता दिवस व गणतन्त्र दिवस को ही होता था, बाकि के दिनों में वे उसको नहीं फेहरा सकते थे. लेकिन कुछ समय के बाद यूनियन कैबिनेट ने इसमें बदलाव किया और आम नागरिकों द्वारा इसके उपयोग को शुरू कर दिया गया.

indian national flag

Table of Contents

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को सभी लोग ‘तिरंगा’ नाम से जानते है, इसका मतलब है तीन रंग. तीनों कलर समतलीय एक बराबर हिस्सों में बटे हुए होते है. सबसे उपर केसरिया, उसके नीचे सफ़ेद व सबसे नीचे हरा रंग होता है. तिरंगा की चोडाई व् लम्बाई 2:3 अनुपात में होती है. तिरंगा के बीच में सफ़ेद रंग के उपर नीले रंग का अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 धारियां होती है.

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास को दर्शाता है। हवा में लहराता हुआ हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश की स्वतंत्रता को प्रदर्शित करता है। यह हमारा ध्वज हमारे देश के नागरिकों की स्वतंत्रता के साथ-साथ अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्त हो होने पर अपना एवं अपने देशवासियों का गौरवयुक्त अभिमान है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन महत्वपूर्ण है, इसलिए है, जो हमारे देश की अखंडता, एकता और वीरता को दर्शाता है। हमें गर्व है, कि हम एक ऐसे देश के वजह से जहां पर वीरों और महापुरुषों ने जन्म लिया।

तिरंगा के तीनों रंगों का विस्तार से विवरण –

केसरिया – केसरिया रंग तिरंगे में सबसे उपर होता है, यह साहस, निस्वार्थता व शक्ति का प्रतीक है.

सफ़ेद – तिरंगा में सफ़ेद रंग सच्चाई, शांति व पवित्रता का प्रतीक है. यह रंग देश में सुख शांति की उपयोगिता को दर्शाता है.

हरा – हरा रंग विश्वास, शिष्टता, वृद्धि व हरी भरी भूमि की उर्वरता का प्रतीक है. यह सम्रधि व जीवन को दर्शाता है.

अशोक चक्र – इसे धर्म चक्र भी कहते है. नीले रंग का अशोक चक्र तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक द्वारा बनाया गया था. जिसे तिरंगा में बीच में लगाया गया है, इसमें 24 धारियां होती है. अशोक चक्र जीवन के गतिशील होने को दर्शाता है, इसका न होना मतलब म्रत्यु है.

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास (Indian National Flag history)–

राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता के लिए, भारत की लम्बी लड़ाई व राष्ट्रीय खजाना का प्रतिनिधित्व करता है. यह स्वतंत्र भारत के गणतंत्र का प्रतीक है. देश आजाद होने के कुछ दिन पूर्व 22 जुलाई 1947 को स्वतंत्र भारत के संविधान को लेकर एक सभा आयोजित की गई थी, जहाँ पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को सबके सामने प्रस्तुत किया गया. इसके बाद 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 तक राष्ट्रीय ध्वज को भारत के अधिराज्य के रूप में प्रस्तुत किया गया. 1950 में संविधान लागु होने पर इसे स्वतंत्र गणतंत्र का राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया गया. राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वेंक्क्या द्वारा बनाया गया था.

भारत के सभी राष्ट्रीय ध्वजों का इतिहास (All National Flag History)–

  • 1904-06 – भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास आजादी के पहले से जुड़ा हुआ है. 1904 -06 के आसपास पहली बार राष्ट्रीय ध्वज लोगो के सामने आया था. उस समय इसे स्वामी विवेकानंद की आयरिश शिष्या सिस्टर निवेदिता ने बनाया था. कुछ समय बाद इस ध्वज को सिस्टर निवेदिता ध्वज कहा जाने लगा. इस ध्वज का रंग पीला व लाल था. जिसमें लाल रंग आजादी की लड़ाई व पीला रंग जीत का प्रतीक था. इस पर बंगाली भाषा में ‘वोंदे मतोरम’ जिसका अर्थ वंदेमातरम् है लिखा गया था. इस पर भगवान इंद्र का शस्त्र वज्र व सेफ कमल का चित्र भी बनाया गया था. वज्र ताकत व कमल पवित्रता का प्रतीक था.
  • 1906 – सिस्टर निवेदिता की रचना के बाद 1906 में एक बार फिर नए ध्वज का निर्माण हुआ. इसमें तीन रंग समाहित थे, सबसे उपर नीला फिर पीला व सबसे नीचे लाल रंग था. इसमें सबसे उपर नीली पट्टी में 8 अलग अलग तरह के सितारे बने हुए थे. सबसे नीचे की लाल पट्टी में एक ओर सूर्य व दूसरी ओर आधा चन्द्रमा व एक तारा बना हुआ था. पिली पट्टी में देवनागरी लिपि से वंदेमातरम् लिखा गया था.

इसी साल इस ध्वज में थोडा बदलाव किया गया, इसमें तीन रंग ही थे, लेकिन उन रंगों को बदल दिया गया. इसमें केसरिया, पीला व हरा रंग था, जिसे कलकत्ता ध्वज कहा गया. इसमें सबसे उपर 8 आधे खिले हुए कमल बनाये गए थे, इसलिए इसे कमल ध्वज भी नाम दिया गया. इसे सचिन्द्र प्रसाद बोस व सुकुमार मित्रा ने बनाया था. इस ध्वज को 7 अगस्त 1906 में कलकत्ता के पारसी बागन चौराहे पर सुरेन्द्रनाथ बैनर्जी द्वारा फ़हराया गया था. उस समय बंगाल का विभाजन हुआ था, उसी के विरोध में ये प्रदर्शन किया गया था.

  • 1907 – 1907 में इसमें मैडम भिकाजी कामा, विनायक दामोदर सावरकर व् श्यामजी कृष्णा वर्मा द्वारा फिर बदलाव किये गए. इसे मैडम भिकाजी कामा ध्वज भी कहा गया. 22 अगस्त 1907 में मैडम भिकाजी कामा द्वारा इस ध्वज को जर्मनी में फ़हराया गया था. ऐसा पहली बार था, जब भारतीय ध्वज को देश के बाहर विदेशी जमीन पर फ़हराया गया था. इस समारोह के बाद इसे ‘बर्लिन कमिटी ध्वज’ भी कहा गया. इस ध्वज में सबसे उपर हरा बीच में केसरिया व् सबसे नीचे लाल रंग था.
  • 1916 – 1916 में पिंगली वेंकय्या नाम की लेखिका ने एक ध्वज बनाया, जिसमें पुरे देश को साथ लेकर चलने की उनकी सोच साफ झलक रही थी. वे महात्मा गाँधी से भी मिली और उनकी राय ली. गांधीजी ने उनको उसमें चरखा भी जोड़ने की बात कही. पिंगली ने पहली बार ध्वज को खादी के कपड़े से बनाया था. इसमें 2 रंग लाल व् हरे रंग से बनाया गया व् बीच में चरखा भी बनाया गया. इस ध्वज को महात्मा गाँधी ने देख कर नकार दिया, उनका कहना था लाल रंग हिन्दू व् हरा रंग मुस्लिम जाति का प्रतीक है. इस ध्वज से देश एकजुट नहीं प्रतीत होता है.
  • 1917 – 1917 में बाल गंगाधर तिलक ने नए ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया. इस ध्वज पर सबसे उपर यूरोपियन देश का झंडा भी जुड़ा हुआ था, बाकि जगह में 5 लाल व् 5 नीली लाइनें थी. इसमें 7 स्टार जिसे सप्तऋषि कहते है, हिन्दुओं की धार्मिकता को दर्शाने के लिए बनाये गए. इसमें अर्द्धचन्द्रमा व् एक तारा भी बनाया गया था.
  • 1921 – महात्मा गाँधी चाहते थे कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में देश की एक जुटता साफ साफ झलके, इस वजह से एक ध्वज का निर्माण किया गया. इस ध्वज में भी 3 रंग थे, सबसे उपर सफ़ेद फिर हरा आखिरी में लाल. इस ध्वज में सफ़ेद रंग देश के अल्पसंख्यक, हरा रंग मुस्लिम जाति व् लाल रंग हिन्दू और सिख जाति को दर्शाता था. बीच में चरखा भी जोड़ा गया, जो सारी जाति की एकजुटता को दर्शाता था. इस ध्वज को कांग्रेस पार्टी ने नहीं अपनाया, लेकिन फिर भी ये आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीयता का प्रतीक बना हुआ था.
  • 1931 – ध्वज में साम्प्रदायिक व्याख्या से कुछ लोग बहुत नाराज थे. इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए ध्वज में लाल रंग को गेरू कर दिया गया. ये रंग हिन्दू मुस्लिम दोनों जाति को प्रकट करता है. लेकिन इसके बाद सिख जाति के लोगो ने राष्ट्रीय ध्वज में अपनी जाति को प्रकट करने के लिए एक अलग मांग की. इसके फलस्वरूप पिंगली ने एक नया ध्वज बनाया, जिसमें सबसे उपर केसरिया फिर सफ़ेद अंत में हरा रंग था. इसमें बीच में सफ़ेद के उपर नीले रंग का चरखा था. 1931 में कांग्रेस पार्टी की मीटिंग में इसे पास कर दिया गया, जिसके बाद ये कांग्रेस का आधिकारिक ध्वज बन गया.
  • 1947 – 1947 में जब देश आजाद हुआ, तब देश के प्रथम राष्ट्रपति व कमिटी प्रमुख राजेन्द्र प्रसाद जी ने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में बात करने के लिए एक सभा बुलाई. वहां सबने एक मत होकर कांग्रेस से उनका ध्वज लेने की बात मानी. 1931 में बनाये गए उस ध्वज में बदलाव के साथ उसे अपनाया गया. बीच में चरखे की जगह अशोक चक्र ने ली. इस प्रकार अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज तैयार हो गया.

ध्वज का निर्माण कार्य –

ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड (BIS) ने ध्वज के निर्माण के लिए मानक सेट किया. उन्होंने उसके निर्माण से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात जैसे उसका कपड़ा, धागा, रंग उसका अनुपात सब कुछ रुल के अनुसार सेट किया, यहाँ तक कि उसके फेहराने से जुड़ी बातें भी रुल में लिखी गई.

राष्ट्रीय ध्वज से जुड़ी कुछ जरुरी बातें –

यह एक राष्ट्रीय प्रतीक है, जिसका सम्मान हर भारतीय करता है. राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान से जुड़ी कुछ बातें आम आदमी को हमेशा याद रखनी चाइये –

  • जब राष्ट्रीय ध्वज उठाया जाये, तब हमेशा ध्यान रखें केसरिया रंग सबसे उपर हो.
  • कोई भी ध्वज या प्रतीक राष्ट्रीय ध्वज के उपर नहीं होना चाहिए.
  • अगर कोई और ध्वज फेहराये जा रहे है, तो वे हमेशा इसके बायीं ओर पंक्ति में फेहराये जाये.
  • अगर कोई जुलुस या परेड निकल रही हो, तो राष्ट्रीय ध्वज दाहिने ओर होना चाइये या फिर बाकि ध्वजों की पंक्ति में बीच में होना चाइये.
  • राष्ट्रीय ध्वज हमेशा मुख्य सरकारी ईमारत व् संस्थान जैसे राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट आदि में फेहरा हुआ होना चाइये.
  • राष्ट्रीय ध्वज किसी भी पर्सनल व्यवसाय या काम के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता.
  • राष्ट्रीय ध्वज शाम को सूर्यास्त के समय उतार देना चाइये.

रोचक तथ्य –

  • राष्ट्रीय ध्वज को 29 मई 1953 में दुनिया के सबसे उचें पर्वत माउंट एवेरेस्ट पर फ़हराया गया था.
  • मैडम भीखाजी खामा पहली इन्सान है, जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज को विदेशी जमीन पर फ़हराया था.
  • 1984 में राकेश शर्मा द्वारा इसे अंतरीक्ष पर फ़हराया गया.
  • दिसम्बर 2014 में चेन्नई में 50 हजार लोगो ने राष्ट्रीय ध्वज बनाकर एक रिकॉर्ड कायम किया था.
  • दिल्ली के सेंट्रल पार्क में सबसे ऊँचा राष्ट्रीय ध्वज फ़हराया गया, जिसकी लम्बाई 90 फीट व् चोड़ाई 60 फीट थी.
  • भारत के राष्ट्रीय चिन्ह और उनका अर्थ
  • भारतीय के राष्ट्रीय पर्व
  • सरोजनी नायडू जीवन परिचय
  • भारत का इतिहास

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भारत का राष्ट्रीय ध्वज

भारत का राष्ट्रीय ध्वज

भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक राष्ट्रीय प्रतीक है जिसे क्षैतिज आयताकार में बनाया गया है। इसे तीन रंगों की मदद से सजाया गया है जिसमें गहरा केसरिया (सबसे ऊपर), सफेद( बीच में) और हरा (सबसे नीचे)। सफेद रंग के बीचों-बीच एक नीले रंग का अशोक चक्र (अर्थात कानून का चक्र) बना हुआ है जिसमें 24 तिलियाँ है। 22 जुलाई 1947 में भारत के संविधान सभा ने एक मीटिंग में राष्ट्रीय ध्वज के वर्तमान स्वरुप को स्वीकार किया था। भारत के सत्ताधारियों द्वारा वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को अधिकारिक रुप से स्वीकार किया गया था। तीन रंगों का होने के कारण इसे तिरंगा भी कहा जाता है। ये स्वराज ध्वज पर आधारित है (अर्थात भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का ध्वज, पिंगाली वेंकैया द्वारा रुपांकित)।

राष्ट्रीय ध्वज (Indian Flag in Hindi)

Find below information about Indian Flag in Hindi language:

भारत के लोगों के लिये राष्ट्रीय ध्वज बहुत मायने रखता है। भारत के लोगों के लिये ये बेहद महत्वपूर्ण और गौरव का विषय है। भारतीय ध्वज को एक खास किस्म के कपड़े से बनाया गया है जिसे ख़ादी कहते है (हाथ से काता हुआ जिसे महात्मा गाँधी द्वारा प्रसिद्ध किया गया)। इसके निर्माण और डिज़ाइन के लिये भारतीय स्टैन्डर्ड ब्यूरो जिम्मेदार होता है जबकि, ख़ादी विकास एवं ग्रामीण उद्योग कमीशन को इसके निर्माण का अधिकार है। 2009 में राष्ट्रीय ध्वज का अकेला निर्माण कर्ता कर्नाटक ख़ादी ग्रामोंद्योग संयुक्त्त संघ रहा है। राष्ट्रीय प्रतीक से संबंधित कानून के साथ ही भारतीय ध्वज की प्रथा (किसी दूसरे राष्ट्र या ग़ैर राष्ट्रीय ध्वज) को भारत का राष्ट्रीय ध्वज नियमावली संचालित करता है। किसी भी निजी नागरिक (किसी भी राष्ट्रीय दिवस को छोड़कर) के द्वारा राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल पूरी तरह प्रतिबंधित है। जबकि, नवीव जिंदल (निजी नागरिक) के अनुरोध पर 2002 में, सुप्रिम कोर्ट के आदेशानुसार भारत की सरकार (भारत की केन्द्रीय कैबिनेट) द्वारा ध्वज के सीमित उपयोग के कानून में बदलाव किया गया। ध्वज के अतिरिक्त इस्तेमाल के लिये 2005 में इसमें दुबारा बदलाव किया गया।

भारतीय ध्वज का अर्थ और महत्व

तीन रंगों में होने की वजह से भारतीय ध्वज को तिरंगा भी कहते है। ख़ादी के कपड़ों, बीच में चक्र और तीन रंगों का इस्तेमाल कर भारतीय ध्वज को क्षितिज के समांतर दिशा में डिज़ाइन किया गया है। ब्रिटीश शासन से भारतीय स्वतंत्रता के परिणाम स्वरुप 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया गया था। इसकी लम्बाई और चौड़ाई का अनुपात क्रमशः २:३ होता है। आजादी और राष्ट्रीयता के प्रतीक के रुप में भारतीय ध्वज को बनाया और स्वीकार किया गया।

हमारे लिये भारतीय ध्वज का बहुत महत्व है। अलग-अलग विचारधारा और धर्म जैसै हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई आदि का होने के बावजूद भी ये सभी धर्मो को एक राह पर ले जाता है और हमारे लिये एकता के प्रतीक के रुप में है। इसमें मौजूद तीन रंग और अशोक चक्र का अपना अर्थ है जो इस प्रकार है:

केसरिया रंग राष्ट्रीय ध्वज का सबसे ऊपरी भाग केसरिया रंग है; जो बलिदान का प्रतीक है राष्ट्र के प्रति हिम्मत और नि:स्वार्थ भावना को दिखाता है। ये बेहद आम और हिन्दू, बौद्ध और जैन जैसे धर्मों के लिये धार्मिक महत्व का रंग है। केसरिया रंग विभिन्न धर्मों से संबंधित लोगों के अहंकार से मुक्ति और त्याग को इंगित करता है और लोगों को एकजुट बनाता है। केसरिया का अपना अलग महत्व है जो हमारे राजनीतिक नेतृत्व को याद दिलाता है कि उनकी ही तरह हमें भी किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा के पूरे समर्पण के साथ राष्ट्र की भलाई के लिये काम करना चाहिये।

सफेद रंग राष्ट्रीय ध्वज के बीच का भाग सफेद रंग से डिज़ाइन किया गया है जो राष्ट्र की शांति, शुद्धता और ईमानदारी को प्रदर्शित करता है। भारतीय दर्शन शास्त्र के मुताबिक, सफेद रंग स्वच्छता और ज्ञान को भी दर्शाता है। राष्ट्र के मार्गदर्शन के लिये सच्चाई की राह पर ये रोशनी बिखेरता है। शांति की स्थिति को कायम रखने के दौरान मुख्य राष्ट्रीय उद्देश्य की प्राप्ति के लिये देश के नेतृत्व के लिये भारतीय राजनीतिक नेताओं का ये स्मरण कराता है।

हरा रंग तिरंगे के सबसे निचले भाग में हरा रंग है जो विश्वास, उर्वरता ; खुशहाली ,समृद्धि और प्रगति को इंगित करता है। भारतीय दर्शनशास्त्र के अनुसार, हरा रंग उत्सवी और दृढ़ता का रंग है जो जीवन और खुशी को दिखाता है। ये पूरे भारत की धरती पर हरियाली को दिखाता है। ये भारत के राजनीतिक नेताओं को याद दिलाता है कि उन्हें भारत की मिट्टी की बाहरी और आंतरिक दुश्मनों से सुरक्षा करनी है।

अशोक चक्र और 24 तिलीयाँ हिन्दू धर्म के अनुसार, पुराणों में 24 संख्या बहुत महत्व रखता है। अशोक चक्र को धर्म चक्र माना जाता है जो कि समय चक्र भी कहलाता है। अशोक चक्र के बीच में 24 तिलीयाँ है जो पूरे दिन के 24 बहुमूल्य घंटों को दिखाता है। ये हिन्दू धर्म के 24 धर्म ऋषियों को भी प्रदर्शित करता है जो “गायत्री मंत्र” की पूरी शक्ति को रखता है (हिन्दू धर्म का सबसे शक्तिशाली मंत्र)। हिमालय के सभी 24 धर्म ऋषियों को 24 अक्षरों के अविनाशी गायत्री मंत्र के साथ प्रदर्शित किया जाता है (पहला अक्षर विश्वामित्र जी के बारे वर्णन करता है वहीं अंतिम अक्षर यज्ञवल्क्या को जिन्होंने धर्म पर शासन किया)।

भारतीय झंडे के मध्य में अशोक चक्र होने के पीछे भी एक बड़ा इतिहास है। बहुत साल पहले, भगवान बुद्ध को मोक्ष की प्राप्ति हुई अर्थात गया में शिक्षा मिली। मोक्ष की प्राप्ति के बाद वो वाराणसी के सारनाथ आ गये जहाँ वो अपने पाँच अनुयायी (अर्थात् पाँच वर्जीय भिक्क्षु) कौनदिन्या, अश्वजीत, भद्रक, महानाम और कश्यप से मिले। धर्मचक्र की व्याख्या और वितरण कर बुद्ध ने उन सबको अपना पहला उपदेश दिया। इसे राजा अशोक द्वारा अपने स्तंभ के शिखर को प्रदर्शित करने के लिये लिया गया जो बाद में भारतीय ध्वज के केन्द्र में अशोक चक्र के रुप में इस चक्र के उत्पत्ति का आधार बना। राष्ट्रीय झंडे के बीच में अशोक चक्र की मौजूदगी राष्ट्र में मजबूत संबंध और बुद्ध में विश्वास को दिखाता है।

12 तिलीयाँ भगवान बुद्ध के अध्यापन को बताता है जबकि दूसरी 12 तिलीयाँ अपने बराबर की प्रतीकों के साथ जोड़ें में है जैसे-अविध्या (अर्थात् ज्ञान की कमी), सम्सकारा (अर्थात् आकार देने वाला), विजनाना (अर्थात् चेतना), नमरुपा (अर्थात् नाम और रुप), सदायातना ( अर्थात् छ: इन्द्रिय जैसे- कान, आँख, जीभ, नाक, शरीर और दिमाग), स्पर्श (अर्थात् संपर्क), वेदना ( अर्थात् दर्द), तृष्णा (अर्थात् प्यास), उपदना (अर्थात् समझना), भाव (अर्थात् आने वाला), जाति (अर्थात् पैदा होना), जरामरना (अर्थात् वृद्धावस्था), और मृत्यु।

अशोक चक्र क्यों नौसेना की तरह नीले रंग में है ? राष्ट्रीय ध्वज के सफेद पट्टी के केन्द्र में अशोक चक्र का नीला रंग, ब्रह्माण्ड की सच्चाई को दिखाता है। ये आकाश और समुद्र के रंग को भी प्रदर्शित करता है।

24 तिलियाँ क्या प्रदर्शित करती है ? हिन्दू धर्म के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज की सभी 24 तिलीयाँ जीवन को दर्शाती है अर्थात् धर्म जो इस प्रकार है: प्रेम, बहादुरी, धैर्य, शांति, उदारता, अच्छाई, भरोसा, सौम्यता, नि:स्वार्थ भाव, आत्म-नियंत्रण, आत्म बलिदान, सच्चाई, नेकी, न्याय, दया, आकर्षणशीलता, नम्रता, हमदर्दी, संवेदना, धार्मिक ज्ञान, नैतिक मूल्य, धार्मिक समझ, भगवान का डर और भरोसा (भरोसा या उम्मीद)।

भारतीय तिरंगे (ध्वज) का इतिहास

एक ध्वज किसी देश का प्रतीक बनता है इसलिये किसी भी आजाद देश को एक राष्ट्र के रुप में एक अलग पहचान के लिये एक ध्वज की जरुरत पड़ती है। संविधान सभा की मीटिंग में 22 जुलाई 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरुप में स्वीकार किया गया था, 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से देश की आजादी से कुछ दिनों पहले। इसे तीन रंगों, अशोक चक्र और खादी की मदद से पिंगाली वेंकैया के द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज को क्षैतिज आकार में डिज़ाइन किया गया है जिसमें सभी तीन रंग अपने बराबर अनुपात में है। झंडे की चौड़ाई से इसके लंबाई का अनुपात 2:3 का है। बीच की सफेद पट्टी में नीले रंग का एक पहिया बना हुआ है जो 24 तिलीयों से युक्त अशोक चक्र का प्रतिनिधित्व करता है।

राष्ट्रीय ध्वज के अंतिम स्वीकारोक्त्ति के पहले, अपनी पहली शुरुआत से ये विभिन्न अद्भुत् बदलावों से गुजरा। ब्रिटिश शासन से आजादी के लिये राष्ट्रीय संघर्ष के दौरान देश को अलग पहचान के लिये राष्ट्रीय ध्वज के आविष्कार और खोज अभियान की शुरुआत हुई।

भारतीय ध्वज का क्रमिक विकास

1906 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज

ऐसा कहा जाता है, कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के ग्रीन पार्क (पारसी बागान स्क्वैयर) में 7 अगस्त 1906 में राष्ट्रीय झंडे को फहराया गया। ये साधारण रुप से डिज़ाइन किया गया ध्वज था जिसमें तीन रंगों (लाल, पीला, और हरा) से तीन क्षैतिज पट्टीयों का इस्तेमाल किया गया था। सबसे उपरी हरे रंग की पट्टी में 8 सफेद कमल के फूल बने हुए थे। बीच की पीली पट्टी में हिन्दी में “वन्दे मातरम्” लिखा हुआ था और सबसे नीचे की लाल पट्टी में अर्धचन्द्राकार बना हुआ था (किनारे के बाएँ तरफ) और सूरज (दाँयी तरफ)।

1907 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज

इतिहास के मुताबिक, ऐसा कहा गया कि 1907 में अपने निर्वासित क्रांतिकारी मण्डली के साथ मैडामें कामा द्वारा पेरिस में दूसरी बार भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया था। बाद में बर्लिन के सामाजिक सम्मेलन में उसी झंडे को प्रदर्शित किया गया था। पहले से दूसरा ध्वज थोड़ा अलग था। इसमें सबसे ऊपरी पट्टी में नारंगी रंग था जिसमें एक कमल और सात सितारे (भेदक सप्तऋषि) बने थे। मध्य के पीले रंग की पट्टी में हिन्दी में “ वन्दे मातरम् ” लिखा था और सबसे नीचे की हरे रंग की पट्टी में बाँयी तरफ सूरज और दाँयी तरफ अर्धचन्द्र और सितारे बने हुए थे।

1917 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज

इसे तीसरी बार 1917 में डॉ ऐंनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक द्वारा होमरुल आंदोलन के दौरान फहराया गया। इसे एकान्तर तरीके में पाँच लाल और चार हरी क्षैतिज पट्टीयों में डिज़ाइन किया गया था। इसमें सात भेदक सप्तऋषि सितारों के साथ बाँये शिखर में एक यूनियन जैक और दाँयी ओर शिखर पर अर्धचन्द्र और सितारा था।

1921 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज

1921 में, भारतीय काँग्रेस कमेटी ने बेजवाड़ा (विजयवाड़ा) में लाल और हरी रंग की दो पट्टीयों वाली ध्वज (जिसमें लाल और हरा रंग हिन्दू और मुस्लिम समुदायों को प्रदर्शित करता है) तैयार की और उसे महात्मा गाँधी के पास ले गये। जहाँ पर उन्होंने बीच में एक सफेद पट्टी (दूसरे समुदायों के लिये) और एक नीले पहिये (चक्र) को लगाने का सुझाव दिया जो राष्ट्र के प्रगति को प्रदर्शित करे।

1931 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज

अंतत:, भारत में तिरंगे झंडे (गाँधी जी के सुझाव पर) को अंगीकृत करने के लिये 1931 में एक प्रस्ताव पास हुआ था। इसमें सबसे ऊपर नारंगी, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा रंग है। बीच की सफेद पट्टी के मध्य में एक घूमता हुआ पहिया बना हुआ है।

भारत का वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज

हालाँकि, संविधान सभा के सम्मेलन में 22 जुलाई 1947 में इसे पूरी तरह से अपना लिया गया था फिर भी उन लोगों ने ये फैसला किया कि थोड़े बदलाव के साथ राष्ट्रीय ध्वज को स्वीकार किया जाएगा, राष्ट्रीय ध्वज में प्रतीक के रुप में राजा अशोक के धर्म चक्र को घूमने वाले पहिये से बदला गया। यही ध्वज अंतत: आजाद भारत का राष्ट्रीय ध्वज बना।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की नियमावली क्या है ?

भारतीय ध्वज राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है जो लोगों की अभिलाषा और उम्मीद को दिखाता है। भारत की आजादी से अभी तक हमारे भारतीय सेनाओं ने दुश्मनों से तिरंगे को बचाया है और इसके सम्मान को बनाये रखा है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की नियमावली पहले से निर्धारित कानूनों का समुच्चय है जो दूसरे देश के लोगों और भारतीयों द्वारा तिरंगे के उपयोग को संचालित करता है। निर्धारित मानकों (1968 में बना और 2008 में सुधार हुआ) के आधार पर भारतीय स्टैंडर्ड ब्यूरो को इसके निर्माण, डिज़ाइन, और सही इस्तेमाल के लिये नियमन करने का अधिकार दिया गया है।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज नियमावली को 2002 में लिखा गया और उन्हें कुछ धाराओं के साथ मिलाया गया जैसे: “प्रतीकों के प्रावधान और नाम (गलत इस्तेमाल से रोकथाम के लिये) धारा 1950 (1950 का संख्या 12), धारा 1971 के तहत राष्ट्रीय सम्मान को ठेस पहुँचाने से निवारण के लिये (1971 के संख्या 69)। अंततोगत्वा, “भारत, के ध्वज नियमावली 2002” के रुप में 26 जनवरी 2002 में ध्वज नियमावली प्रभावी हुआ। इसके तीन भाग है जैसे कि:

  • पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज के सामान्य विवरण दिये हुए है।
  • दूसरे भाग में सरकारी, निजी संस्था और शिक्षण संस्थानों द्वारा इसके उपयोग को लेकर दिशा-निर्देश दिये गये है।
  • और तीसरे भाग में केन्द्रीय और राज्य सरकार तथा इनकी एजेँसीयों के द्वारा इसके इस्तेमाल को लेकर हिदायत दी गयी है।

राष्ट्रीय ध्वज के उपयोग को लेकर सभी नियम, कानून और अधिकार अधिकारिक रुप से भारत के ध्वज कानून के अंतर्गत वर्णित किये गये है जो इस प्रकार है: “ सबसे ऊपरी पट्टी का रंग भारतीय केसरिया और सबसे नीचे की पट्टी का रंग भारतीय हरा होना चाहिये। बीच की पट्टी सफेद होनी चाहिये, तथा इसी पट्टी के मध्य में नीले रंग के चक्र में समान दूरी पर 24 तिलियाँ होनी चाहिये।”

राष्ट्रीय ध्वज को यदि किसी के द्वारा खादी या हाथ से बुने हुए कपड़ों के अलावा किसी और कपड़ो का इस्तेमाल करता है तो जुर्माने के साथ तीन साल की सजा का प्रावधान है। ख़ादी के लिये कॉटन, सिल्क और वुल के अलावा किसी और कपड़ों का इस्तेमाल की सख्त मनाही है। दो प्रकार के ख़ादी से झंडा तैयार होता है (ध्वज के ढ़ाँचे को बनाने के लिये ख़ादी ध्वजपट और पोल को थामे रखने के लिये ध्वज के अंतिम छोर को तैयार करने के लिये मटमैले रंग का कपड़ा आर्थात् ख़ादी-ड्क)। साथ ही कपड़े के हर एक स्क्वैयर सेंटीमीटर पर केवल 150 धागे ही रहेंगे, एक सिलाई पर चार धागे और एक स्क्वैयर फीट कपड़े का वजन 205 ग्राम होना चाहिए।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज के नियमावली के नियम और विनियमन क्या है ?

26 जनवरी 2002 के कानून पर आधारित भारत के राष्ट्रीय ध्वज कानून के अनुसार, झंडा फहराने के कुछ कायदे-कानूनों को जरुर ध्यान में रखना चाहिये:

  • अपने राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिये विद्यार्थीयों के प्रेरणा स्वरुप इसे शिक्षण संस्थानों (जैसे कि स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, खेल कैम्प, स्कॉउट आदि) में फहराने की इज़ाजत दी गयी। झंडा फहराने के साथ ही शिक्षण संस्थानों में संकल्प की प्रतिबद्धता का पालन अवश्य होना चाहिए।
  • ध्वज के सम्मान और गरिमा का ध्यान रखते हुए किसी भी राष्ट्रीय अवसर पर सरकारी या निजी संस्थान द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जा सकता है। नये नियम के सेक्शन 2 के अनुसार, आम आदमी भी अपने परिसर के अंदर झंडा फहरा सकता है।
  • ध्वज का किसी सांप्रदायिक या व्यक्तिगत लाभ के लिये कपड़े के रुप में इस्तेमाल नहीं करना है। इसे कहीं भी केवल सूर्योदय से सूर्यास्त के समय तक फहराना है।
  • इसको जानबूझकर ज़मीन, फर्श या पानी में घसीटना नहीं है।
  • किसी भी स्थिति में इसका इस्तेमाल कार, हवाई जहाज़, ट्रेन, बोट आदि के ऊपर, नीचे या किनारों को ढ़कने के लिये नहीं होना चाहिये।
  • यदि कोई राष्ट्रीय ध्वज के साथ किसी दूसरे ध्वज का उपयोग कर रहा/रही है तो उसे इस बात का एहसास जरुर होना चाहिए कि किसी दूसरे ध्वज की ऊँचाई हमारे राष्ट्रीय ध्वज से अधिक नहीं होनी चाहिए। कोई भी इसके ऊपर नहीं रखा जा सकता या इसे सज़ावट के लिये इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

राष्ट्रीय ध्वज के बारे में महात्मा गाँधी के विचार

“सभी राष्ट्रों के लिये ध्वज जरुरी है। लाखों इसके लिये कुर्बान हुए। इसमें कोई शक नहीं कि एक प्रकार की मूर्तिपूजा है जो पाप का नाश करने के लिये होगी। ध्वज आदर्श को प्रस्तुत करता है। यूनियन जैक का फहराना अंग्रेजी अन्त:करण भावनाओं को उत्पन्न करता है जिसकी मजबूती को मापना कठिन है। अमेरिकन के लिये सितारे और पट्टी एक दुनिया है। इस्लाम में सर्वोच्च बहादुरी सितारों और अर्धचन्द्र को आगे ले जाना है”

“ये हमारे लिये जरुरी है कि भारतीय मुस्लिम, ईसाई, यहूदी, पारसी और उन सभी के लिये जो भारत को अपना घर मानते है एक ध्वज के लिये जीयें और मरें। ”-महात्मा गाँधी

भारतीय ध्वज से संबंधित भाव

  • मै तब हाई स्कूल में था जब पंडित नेहरु ने नई दिल्ली में झंडा फहराया था- ए.पी.जे.अब्दुल कलाम
  • “शांति और समरसता में जीने के लिये, एकता और मजबूती, के साथ हमें एक लोग, एक राष्ट्र और एक ध्वज को मानना चाहिये।“- पॉलिन हैंसन
  • “मेरा मानना है कि हमारा ध्वज कपड़े और स्याही से कुछ ज्यादा है। ये विश्वभर में पहचाने जाने वाला प्रतीक है जो उदारता और आजादी के लिये खड़ा होता है। ये हमारे राष्ट्र का इतिहास है, और ये उनके खून से लिखा हुआ है जो इसे बचाने मे शहीद हुए।“- जॉन थुने
  • “हमारा ध्वज बहुत राजनीतिक विचारों में केवल एक नहीं है, बल्कि, ये हमारी राष्ट्रीय एकता की पहचान है।”- एंड़्रियन क्रोनाउर
  • “हमारा ध्वज उनका सम्मान करता है जो इसकी सुरक्षा के लिये लड़ते है, और हमारे राष्ट्र के निर्माणकर्ताओं के बलिदान को याद दिलाता है। अमेरिका के ऐतिहासिक कहानियों के सर्वश्रेष्ठ प्रतिरुप के रुप में इस राष्ट्र के सबसे उत्कृष्ठ सितारों और पट्टीयों को प्रदर्शित करते है। ”- जो बार्टोन
  • “क्या बची हुई उम्मीद है लोगों की ? एक देश, एक भाषा, एक ध्वज! ”- एलेक्जेंडर हेनरिक
  • “एक देशभक्त और नागरिक होने से ज्यादा ध्वज को उठाना और संकल्प लेने में है।”- जेसे वेनचुरा
  • “र्निदोष लोगों की हत्या के शर्म को ढ़कने के लिये कोई भी बड़ा ध्वज कम पड़ जाएगा। ”-हॉवर्ड जिन्न
  • “ध्वज को लहराने में देशभक्ति नहीं होती, लेकिन इस प्रयास में कि हमारा देश अवश्य ईमानदार और मजबूत होना चाहिये।”- जेम्स ब्रिस
  • “हम अपना सिर! और हमारा दिल! देते है अपने देश को! एक देश! एक भाषा! एक ध्वज! ”-कर्नल जॉर्ज.टी.बाल्क “दिलों का संयोजन, हाथों का मिलन और एकता का ध्वज हमेशा के लिये। ”- जार्ज पोप मॉरिस
  • “चलिये एक ही ध्वज के तहत जन्म ले जिसमें हम हर आवश्यकता में रैली करें, हमारा एक देश है, एक संविधान है, एक किस्मत है। ”- डेनियल वेबस्टर
  • “हमारे पास केवल एक ध्वज है, एक देश है; चलिये एक साथ होते है। हमलोग रंगों में अलग हो सकते है लेकिन भावनाओं में नहीं। बहुत कुछ मेरे बारे कहा गया है जो गलत है और जो श्वेत और काले लोग यहाँ है, जो कि शुरु से अंत तक युद्ध में मेरे साथ रहे, मेरा खंडन कर सकते है। ”- नॉथन बेडफोर्ड फौरेस्ट

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हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध | Essay on Our National Flag in Hindi

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हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध | Essay on Our National Flag in Hindi!

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा । झंडा ऊंचा रहे हमारा ।।

प्रत्येक देश का अपना राष्ट्रीय ध्वज होता है जो उस देश के गौरव और सम्मान का प्रतीक होता है । हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जो देश की स्वतंत्रता के बाद से हमारे राष्ट्रीय भवनों पर फहरा रहा है ।

15 अगस्त 1947 को भारतवर्ष स्वतन्त्र हुआ था और भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू ने लालकिले पर प्रथम बार ध्वजारोहण किया था । हमारी पराधीनता का प्रतीक यूनियन जैक उस दिन उतार दिया गया था । तब से आज तक राष्ट्र की आन-बान और शान का प्रतीक तिरंगा फहरा रहा है ।

हमारा राष्ट्रीय ध्वज केसरीया, श्वेत और हरे रंगों से बना है । इस के मध्य में अशोक चक्र है । इस चक्र में चौबीस शलाकाएं हैं और इसका रंग गहरा नीला (Navy Blue) है । भारत सरकार ने सम्राट अशोक के इस चक्र को ग्रहण कर भारतीय प्राचीन गौरव की रक्षा की है ।

तिरंगे के तीन रंग अपने विशेष गुणों के प्रतीक हैं । केसरिया रंग उत्साह और वीरता का परिचायक है । इसी से प्रेरणा लेकर देश के अगणित वीरों ने देश की स्वतन्त्रता प्राप्ति हेतु अपने प्राणों की बाजी लगा दी थी । श्वेत रंग हमारी पवित्रता, उज्यल चारित्रिकता सत्य और सांस्कृतिक श्रेष्ठता का प्रतीक है । हरा रंग हमारे वैभव, श्री और सम्पत्रता का परिचायक है । लहलहाती हरी-भरी फसलों का रंग ही तो झलकता है, इस हरे रंग में । किसी दिन हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था । यह हरा रंग उसी ओर संकेत करता है । आज हजारे देश ने कृषि उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में जो बहुमुखी प्रगति की है हरा रंग उसी प्रगति का सूचक है ।

ADVERTISEMENTS:

ध्वज के मध्य में बना अशोक चक्र हमारी धार्मिक स्वतन्त्रता का प्रतीक है । उसकी चौबीस शलाकाएं हमारे विभिन्न धर्मों और उनकी समन्वित सांस्कृतिक एकता तथा ‘सर्वधर्म समभाव’ का परिचायक है । हमारे देश में सभी धर्मों के अनुयायियों को पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त है ।

सभी धर्म अपनी पूजा-पद्धति अपनाने में स्वतंत्र हैं । सभी धर्म अलग-अलग दिखाई पड़ते हैं । पर अनेकता में एकता ही हमारे राष्ट्र की वह विशेषता है जो विश्व में अन्यत्र दुर्लभ है । स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर यह ध्वज समारोह पूर्वक फहराया जाता है । स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण किया जाता है ।

गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्वारा इंडिया गेट पर ध्वज फहराया जाता है । दोनों ही अवसरों पर इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती हैं । सेना की टुकड़िया ध्वज का अभिवादन करती हैं । देश के राज्यों में मुख्यमंत्रियों अथवा राज्यपालों द्वारा ध्वजारोहण किया जाता हैं । विभिन्न देशों में राजदूत ध्वजारोहण करते हैं ।

देश के विभिन्न भागों में नगरों और गांवों में भी देश के नागरिक सांसदों, विधान सभा सदस्यों, पार्षदों, और मुख्य अधिकारियों की अध्यक्षता में ध्वजारोहण करते हैं । दोनों ही अवसरों पर राष्ट्रीय-एकता और स्वतंत्रता से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं ।

स्वतंत्रता के प्रतीक तिरंगे के अनन्तकाल तक फहराते रहते की कामना की जाती है । राष्ट्र ध्वज के नीचे दिवंगत स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी जाती है । हमें इस ध्वज की आन-बान और शान बनाए रखने के लिए प्राणों की परवाह भी नहीं करनी चाहिए ।

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दा इंडियन वायर

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर लेख

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By विकास सिंह

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भारत का राष्ट्रीय ध्वज, जिसे तिरंगा भी कहा जाता है, इसमें तीन रंग शामिल हैं -केसरिया, सफेद और हरा। केंद्र में 24 तीलियों के साथ एक अशोक चक्र है। हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे लिए बहुत महत्व रखता है। यह संप्रभु भारत का प्रतीक है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर लेख, 100 शब्द:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ तिरंगा झंडा है। इसके शीर्ष पर केसरिया रंग, बीच में सफेद और नीचे चौड़ाई और लंबाई के साथ हरा रंग है। अशोक चक्र को छब्बीस तीलितों के साथ केंद्र में अंकित किया गया है। यह नेवी ब्लू कलर में है। झंडा खादी से बना है। झंडे का डिजाइन 22 जुलाई 1947 को निर्वाचन सभा द्वारा आयोजित बैठक में अपने वर्तमान स्वरूप में अपनाया गया था। यह 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज बन गया।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा भी कहा जाता है। भारतीय अपने ध्वज के लिए उच्च सम्मान रखते हैं। ध्वज के सम्मान को किसी भी कीमत पर संरक्षित किया जाना चाहिए।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर लेख, 150 शब्द:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज आयताकार और क्षैतिज रूप से केसरिया, सफेद और गहरे हरे रंग के तीन रंग बैंडों के साथ आकार में क्षैतिज है, जिसके केंद्र में नेवी ब्लू रंग में अशोक चक्र है। भगवा रंग हिंदू धर्म का प्रतीक है जो साहस और बलिदान को इंगित करता है, सफेद रंग शांति और सच्चाई को इंगित करता है और हरा रंग प्रजनन और विकास को इंगित करता है।

केंद्र में नौसेना नीला चक्र महासागर और आकाश के लिए रंग है। यह बलिदान और साहस के कारण है कि हमने स्वतंत्रता प्राप्त की है और सच्चाई और पवित्रता के साथ हम विकास और प्रगति प्राप्त कर सकते हैं। स्वतंत्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज पहली बार 22 जुलाई 1947 को निर्वाचन विधानसभा द्वारा अपनाया गया था।

ध्वज देश का गौरव है और इसकी संप्रभुता का प्रतिनिधित्व करता है। यह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा देश की आजादी के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है। यह सम्मान और एकता का प्रतीक है। हमारा कर्तव्य है कि हम सभी प्रकार से इसके गौरव और गौरव को बनाए रखें।

200 शब्द:

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा केसरिया, सफेद और हरे रंग का एक क्षैतिज आयताकार आकार में है, जिसके केंद्र में 24 नीले रंग का अशोक चक्र है। भारत में, “तिरंगा” हमारे राष्ट्रीय ध्वज को हिंदी में “तिरंगा” के रूप में भी दर्शाता है। ध्वज को पिंगली वेंकय्या द्वारा डिज़ाइन किया गया है और यह खादी, हाथ से बने कपड़े से बना है, जिसे महात्मा गांधी द्वारा भारत में लोकप्रिय बनाया गया है।

हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का गहरा दार्शनिक अर्थ है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में शीर्ष पर केसरिया रंग बलिदान और त्याग के लिए खड़ा है और साहस और शक्ति का संकेत देता है, बीच में सफेद रंग केंद्र में धर्म चक्र के साथ शांति और सच्चाई को इंगित करता है, और हरा रंग विकास, प्रजनन क्षमता और शुभता का संकेत देता है। देश की भूमि।

अशोक चक्र धर्म चक्र है जिसमें समान रूप से 24 तीलियाँ होती हैं। चक्र की प्रारंभिक बारह तीलियाँ दुख के 12 चरणों का प्रतीक हैं और अगली 12 तीलियाँ बिना किसी कारण के प्रभाव का प्रतीक हैं। चक्र में कुल 24 तीलियाँ भी धर्म का प्रतिनिधित्व करती है और ध्वज के तीन रंगों का प्रतीकवाद हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर आधारित है। भगवा हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के लिए खड़ा है, सफेद रंग ईसाई धर्म के लिए खड़ा है और हरा इस्लाम का प्रतिनिधित्व करता है।

निष्कर्ष:

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में सभी धार्मिक समुदायों के मिलन को दर्शाया गया है और केंद्र में अशोक चक्र को दर्शाया गया है। राष्ट्रीय ध्वज धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा का प्रतिनिधित्व करता है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज पर लेख, paragraph on indian national flag in hindi (250 शब्द)

भारत का राष्ट्रीय ध्वज स्वतंत्रता के लिए हमारे लंबे संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें स्वतंत्र गणराज्य के रूप में हमारे देश की स्थिति को दर्शाया गया है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास कैसे हुआ?

भारत का पहला ध्वज 1904 और 1906 के बीच अस्तित्व में आया था। यह सिस्टर निवेदिता द्वारा बनाया गया था। इसमें लाल रंग शामिल था जो स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था और पीला रंग जो जीत का प्रतीक था। बंगाली में “बोंडे मटोरम” वाक्यांश लिखा गया था। इसमें वज्र ’को शक्ति का प्रतीक और’ इंद्र ’को भी दर्शाया गया था जो पवित्रता को दर्शाता है।

1906 में एक नया झंडा डिजाइन किया गया था। तीन समान पट्टियों वाला एक तिरंगा झंडा, यानी शीर्ष पर नीला, बीच में पीला और सबसे नीचे लाल। 22 अगस्त 1907 को मैडम कामा द्वारा स्टटगार्ट, जर्मनी में मैडम कामा द्वारा एक नया झंडा फहराया गया। इस ध्वज में तीन रंग शामिल थे, शीर्ष पर हरा, मध्य में सुनहरा केसर और फिर लाल।

1921 में एक नया झंडा डिजाइन किया गया था। यह तिरंगा था, जिसके शीर्ष पर सफेद रंग था, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतीक था, बीच में हरे रंग का प्रतीक था और नीचे लाल रंग का प्रतिनिधित्व करने वाले हिंदू थे। 1931 में, पिंगली वेंकय्या द्वारा तीन रंगों के साथ एक नया झंडा डिजाइन किया गया था। सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद और बीच में चरखे के साथ नीचे हरा रंग था।

1947 में, जब भारत को स्वतंत्रता मिली, 1931 के ध्वज को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था, लेकिन केंद्र में ‘वर्ण’ को ‘चक्र’ द्वारा बदल दिया गया था। 22 जुलाई 1947 को संवैधानिक सभा की बैठक में ध्वज के वर्तमान डिजाइन को अपनाया गया था।

भारत का ध्वज तिरंगा पर लेख, 300 शब्द:

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने हमारे देश की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। वे अपने देश और देशवासियों से प्यार करते थे और भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक उच्च सम्मान रखते थे। अंग्रेजों ने 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज पेश किया था।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और स्वतंत्रता सेनानी:

हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को यह पसंद नहीं आया क्योंकि यह काफी हद तक अंग्रेजों द्वारा पेश किए गए झंडे जैसा था। उन्होंने 1905 में वंदे मातरम ध्वज के रूप में संदर्भित एक नया झंडा पेश किया। यह ध्वज हमारे राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता था और स्वदेशी आंदोलन का एक हिस्सा था। यह एक तिरंगा झंडा था लेकिन यह हमारे वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज से काफी अलग था।

इसके तीन बैंड थे – ग्रीन, येलो और रेड। शीर्ष पर हरे रंग के उस पर आठ सफेद कमल थे जो देश के आठ प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते थे। बीच में पीले बैंड पर वंदे मातरम लिखा था और सबसे नीचे लाल बैंड पर एक सूरज और एक अर्धचंद्र था।

गांधीजी ने बाद में हिंदुओं और मुस्लिमों और चरखे का प्रतिनिधित्व करने वाले एक ध्वज का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने उच्च महत्व दिया। झंडे पर चरखा आत्मनिर्भर होने और ब्रिटिश सामानों के बहिष्कार का प्रतीक था। विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान ध्वज को ऊंचा रखा गया था। हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने विभिन्न स्वतंत्रता आंदोलनों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान इस ध्वज के साथ रैली की।

बाद में, हमारे देश की स्वतंत्रता से लगभग एक महीने पहले कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने एक समिति बनाई और हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज – हमारे तिरंगा को अंतिम रूप दिया। इस समिति में सरोजिनी नायडू, के.एम. जैसे स्वतंत्रता सेनानी शामिल थे। मिंशी और बी.आर. अंबेडकर और अध्यक्षता राजेंद्र प्रसाद ने की थी।

भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत के अन्य नागरिकों के साथ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करने और हर कीमत पर इसकी गरिमा की रक्षा करने का संकल्प लिया। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और ब्रिटिश शासन के चंगुल से देश को मुक्त करने के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाता है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर लेख, article on indian national flag in hindi (350 शब्द)

हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना चाहिए और इसे ऊंचा रखना चाहिए। यह हमारे देश की संप्रभुता का प्रतीक है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे राष्ट्रीय ध्वज ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह हमारे देश के नागरिकों के लिए एकता और शक्ति का प्रतीक था।

उपनिवेशित भारत में राष्ट्रीय ध्वज:

विभिन्न भारतीय राज्यों ने ब्रिटिश शासन से पहले अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए अलग-अलग झंडे का इस्तेमाल किया। यह ब्रिटिश थ जो देश के लिए राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक एकल ध्वज के विचारको पेश किया। हालांकि, उनके द्वारा पेश किया गया झंडा हमारे सम्मानित तिरंगे से बिल्कुल अलग था। यह कनाडाई और ऑस्ट्रेलियाई झंडे की तर्ज पर ज्यादा अलग था।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रीय ध्वज:

1905 में बंगाल के विभाजन के बाद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतिनिधित्व करने वाला एक नया झंडा पेश किया गया था। यह देश की सभी जातियों के बीच एकता का प्रतीक था। अगले कुछ वर्षों के दौरान कई नए झंडे प्रस्तावित और अपनाए गए।

अप्रैल 1921 में, महात्मा गांधी ने केंद्र में चरखे के साथ एक ध्वज का सुझाव दिया। इस झंडे को डिजाइन करने का काम पिंगली वेंकय्या को दिया गया था। इसके तीन रंग थे – लाल, सफेद और हरा और इस पर अंकित एक चरखा। लाल रंग हिंदुओं का प्रतीक था और हरा रंग मुसलमानों का प्रतीक था। झंडा भारत में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एकता का प्रतीक था। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्वज बन गया।

जून 1947 में, स्वतंत्र भारत के लिए एक ध्वज का चयन करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ध्वज में कुछ संशोधन करने और इसे भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का निर्णय लिया गया था। स्वतंत्र भारत के लिए चुने गए तिरंगा ध्वज में शीर्ष पर तीन बैंड केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरा था। चरखे का स्थान अशोक चक्र ने ले लिया था। इसी से भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अस्तित्व में आया।

भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद 15 अगस्त 1947 को प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। यह तब से देश के सभी सरकारी भवनों पर ऊंची उड़ान भरता है। हमारे राष्ट्रीय पर्वों पर विभिन्न स्थानों पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और यह हमें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों के बलिदानों की याद दिलाता है।

भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा पर लेख, paragraph on indian national flag in hindi (400 शब्द)

भारतीय गणराज्य का ध्वज केसरिया, सफेद और हरे रंग का क्षैतिज तिरंगा ध्वज है। शीर्ष पर केसरिया रंग देशभक्ति और त्याग का प्रतीक है, बीच का सफेद रंग शब्दों और कार्यों में विचारों और सच्चाई की शुद्धता के लिए खड़ा है और हरा रंग जीवन और समृद्धि का प्रतीक है। 24 तीलियों के साथ केंद्र में अशोक चक्र प्रगति के लिए खड़ा है। चक्र धर्म का प्रतीक भी है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए नियम:

नीचे दिए गए नियमों को भारत के ध्वज संहिता में उल्लिखित किया गया है जिसे ध्वज फहराते समय पालन किया जाना चाहिए:

  • क्षैतिज प्रदर्शन में शीर्ष पर भगवा पट्टी के साथ भारत का राष्ट्रीय ध्वज सीधा फहराया जाना चाहिए। इसे कभी उल्टा नहीं फहराना चाहिए।
  • जब झंडा सार्वजनिक समारोहों में घर के अंदर प्रदर्शित किया जाता है, तो यह दाईं ओर होना चाहिए और पर्यवेक्षकों के बाईं ओर होना चाहिए क्योंकि यह अधिकार की स्थिति है, और यह स्पीकर के दाहिने हाथ की तरफ होना चाहिए। जब कहीं और प्रदर्शित किया जाता है तो यह दर्शकों के दाईं ओर होना चाहिए।
  • जब राष्ट्रीय ध्वज को अन्य झंडों के साथ परेड में ले जाया जाता है, तो यह केंद्र में दाईं ओर या सामने होना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज को कभी भी किसी व्यक्ति या व्यक्ति पर नहीं फेंकना चाहिए।
  • झंडा फहराने की रस्म के दौरान या जब झंडा परेड में गुजर रहा होता है, तो मौजूद लोगों को ध्यान में खड़े होकर झंडे का सामना करना चाहिए। राष्ट्रगान के गायन के बाद झंडे को सलामी दी जानी चाहिए।
  • ध्वज का उपयोग कपड़ों या चिलमन के रूप में नहीं किया जाना चाहिए।
  • राष्ट्रीय ध्वज के पोल को इमारत के उच्चतम बिंदु पर तैनात किया जाना चाहिए। शोक के संकेत के रूप में, झंडा आधा झुका हुआ होना चाहिए। इसे पहले ऊपर की ओर उठाया जाना चाहिए और फिर धीरे-धीरे नीचे लाया जाना चाहिए। इस तरह के शोक की अवधि और ऐसा करने का निर्णय भारत के राष्ट्रपति के पास है।
  • केंद्रीय अर्धसैनिकों के अंतिम संस्कार के अवसर पर, ताबूत के ऊपर सैन्य या राज्य बलों के झंडे को सिर पर केसरिया पट्टी के साथ लपेटना होता है। ध्वज को जलाया नहीं जाना चाहिए या कब्र में नहीं उतारा जाना चाहिए।
  • जब राष्ट्रीय ध्वज को भारतीय क्षेत्र पर अन्य राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराया जाता है, तो राष्ट्रीय ध्वज प्रारंभिक बिंदु पर होना चाहिए।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को अत्यधिक सम्मान के साथ फहराया जाना चाहिए और भारतीय ध्वज संहिता में उल्लिखित नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध

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प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक चिन्ह या प्रतीक होता है। जिससे उसकी पहचान बनती है। राष्ट्रीय ध्वज हर राष्ट्र के गौरव का प्रतीक होता है।

‘तिरंगा’ हमारा राष्ट्रीय ध्वज है। हमारा देश भारत विविध जातियों, धर्मों और संस्कृतियों को देश है। इसी प्रकार हमारा ध्वज भी भाव प्रधान है। हमारे राष्ट्र के झंडे में तीन रंग हैं इसीलिये इसे तिरंगा कहते हैं। झंडे में तीन रंगों की पट्टियाँ हैं। जिनका आकार समान है। झंडे के सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो वीरता और शौर्य को प्रकट करता है। बीच का हिस्सा सफेद रंग हा है जो पवित्रता, त्याग भावना एवं सादगी का प्रतीक है। नीचे के भाग का हरा रंग हमारे देश की हरी भरी धरती और सम्पन्नता को दर्शाता है। ध्वज की मध्य सफेद पट्टी पर अशोक चक्र बना है। नीले रंग के अशोक चक्र में 24 लाइनें हैं। अशोक चक्र धर्म, विजय एवं प्रगति का द्योतक है।

हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई में तिरंगे की एक मुख्य भूमिका रही। 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज बना। राष्ट्रीय समारोहों एवं महत्वपूर्ण अवसरों पर एक राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज प्रत्येक राष्ट्र की शान होता है। राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान दण्डनीय अपराध है। लहराता हुआ तिरंगा प्रत्येक भारतीय को राष्ट्र प्रेम की भावना से ओत प्रोत कर देता है।

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हिन्दी निबंध : राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

हिन्दी निबंध : राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा - National Flag Essay in Hindi

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भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध / भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi

भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi

भारत का झंडा तिरंगा पर निबंध / भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Indian National Flag Tiranga in Hindi

आम तौर पर कॉमनवेल्थ, ऐशियन, ओलम्पिक, क्रिकेट वर्ड कप, फ़ुटबाल वर्ड कप जैसे खेलो में सभी देशो के झंडे को लगाया जाता है। जब 2 देशो के खिलाड़ी खेलते है तो उनका स्कोर दिखाने के लिए भी झंडे का इलेक्ट्रनिक लोगो दिखाया जाता है।

विश्व के सभी देशो का अपनी अलग आकृति और रंगो वाला झंडा है। हमारे तिरंगे में 3 समानांतर रंगो वाली केसरिया, सफ़ेद और हरे रंग की पट्टियाँ हैं। इसकी लम्बाई चौड़ाई का प्रतीक 3:2 है। बीच वाली सफ़ेद पट्टी में नीले रंग का एक चक्र भी होता है जिसमे 24 तीलियाँ होती है। यह खादी कपड़े का बना होता है।

यह भी पढ़ें :  भारत के झंडे तिरंगा के विषय में तथ्य

Table of Content

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास  HISTORY OF INDIAN NATIONAL FLAG

पहले राष्ट्रीय ध्वज को स्वामी विवेकानंद की शिष्य भगिनी निवेदिता ने 1904 में डिजायन किया था। दूसरे ध्वज को मैडम कामा और उनके साथी क्रांतिकारियों ने 1907 में बनाया था। तीसरे राष्ट्रीय ध्वज को डॉ ऐनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने 1917 में बनाया था। चौथे राष्ट्रीय ध्वज को आंद्रप्रदेश के युवक पिंगली वेंकैया नामक युवक ने बनाया था।

बाद में इस झंडे को परिवर्तित कर दिया गया और बीच में एक सफ़ेद पट्टी जोड़ दी गयी जो अन्य धर्मों को प्रदर्शित करती थी। 1947 से कुछ दिन पहले इसी झंडे के चक्र को बदलकर अशोक का चक्र लगा दिया गया। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था।

“हुबली” मात्र एक ऐसा संस्थान है जिसके पास झंडा बनाने का लाइसेंस है। यही संस्था पूरे देश की दुकानों पर झंडा की सप्लाई करती है। तिरंगे की कल्पना पिंगली वेंकैया नामक व्यक्ति ने की थी। इसे 22 जुलाई 1947 के दिन अपनाया गया था।

भारत के राष्ट्रीय ध्वज का महत्व  IMPORTANCE OF INDIAN NATONAL FLAG

अन्य धर्मों के लिए सफ़ेद रंग है। पहले इसमें सफ़ेद धारी में चरखा होता था पर बाद में इसे बदलकर अशोक चक्र कर दिया गया। यह धर्म चक्र है जो सम्राट अशोक द्वारा बनाये गये सारनाथ की लाट से लिया गया है। चक्र में 24 तीलियाँ समय के 24 घंटो को दर्शाती हैं।

राष्ट्रीय झंडे को फहराने के नियम  RULES TO HOST INDIAN NATIONAL FLAG

निष्कर्ष conclusion.

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भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के लोगों की स्वतंत्रता का प्रतीक है। यह प्रत्येक भारतीय व्यक्ति के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण महत्व रखता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज भारत के संप्रभुता, लोकतांत्रिक और गणतंत्र राज्य का प्रतिनिधित्व करता है। इस प्रकार यह केवल कपड़े का एक टुकड़ा नहीं बल्कि एक सम्मान है जिसे लोग गर्व के साथ प्रदर्शित करना या सजाना पसंद करते हैं। भारत के राष्ट्रीय ध्वज को इसके रंग पैटर्न के कारण तिरंगे के रूप में भी जाना जाता है। यह तिरंगा भारत संघ का एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतीक है। तिरंगा भारत के लोगों का गौरव है।

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि तिरंगा 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के डोमिनियन का ध्वज बना रहा और उसके बाद भारत गणराज्य के ध्वज के रूप में प्रसिद्ध हुआ। वर्तमान स्थिति में भारत का ध्वज एक प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है जो स्वतंत्रता संग्राम के माध्यम से विकसित हुआ है। भारत का इतिहास कई क्रांतियों और ब्रिटिश साम्राज्य के घमासान युद्ध से भरा हुआ है।

आपको बता दें, भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता में फहराया गया था। यह अपने वर्तमान स्वरूप के रूप में भी आयताकार था, जिसमें ऊपर से नीचे तक क्रमशः हरे, पीले और लाल रंग की तीन क्षैतिज पट्टियाँ थीं। इसे स्वदेशी आंदोलन के लिए भारत के लोगों को एकजुट करने के उद्देश्य से तैयार किया गया ‘वंदे मातरम ध्वज’ कहा जाता था। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में एक बड़ा परिवर्तन तब आया जब महात्मा गांधी ने 1921 में अपनी पत्रिका ‘यंग इंडिया’ में एक की आवश्यकता व्यक्त की। उन्होंने केंद्र में चरखा या चरखा के साथ एक ध्वज का प्रस्ताव रखा।

इसके बाद पिंगली वेंकय्या को झंडा तैयार करने का काम दिया गया था। झंडे में दो रंग थे – लाल हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करता है और हरा मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके बीच में चरखा होता है। लेकिन जल्द ही इस डिजाइन को बीच में एक सफेद पट्टी के साथ संशोधित किया गया, ताकि अन्य धर्मों का भी प्रतिनिधित्व किया जा सके।

झंडे को केसरिया, सफेद और हरे रंगों के साथ संशोधित किया गया और 1931 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा स्वराज ध्वज के रूप में अपनाया गया। ध्वज के केंद्र में सफेद भाग में चरखा था। बाद में चरखे की जगह 24 तीलियों वाले अशोक चक्र ने ले ली

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

तिरंगे का उपयोग भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य के प्रतीक के रूप में किया जाता है। जहां भी तिरंगा फहराया जाता है, वह भारत के लोगों के गौरव का प्रतिनिधित्व करता है। यह इमारतों, कार्यालयों और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान प्रदर्शित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों के दौरान तिरंगे का प्रदर्शन भारत के लोगों की भागीदारी को दर्शाता है।

तिरंगा भारत के लोगों को उनके कई धार्मिक और सांस्कृतिक मतभेदों के बावजूद एकजुट रखता है। मुस्लिम, हिंदू, ईसाई और कई अन्य समुदाय तिरंगे के माध्यम से एक दूसरे को एकता के एक सामान्य प्रतीक के रूप में पहचानते हैं। झंडा उनकी एकता के साथ-साथ उनके बीच सांप्रदायिक सद्भाव का भी प्रतिनिधित्व करता है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का महत्व अतुलनीय है।

उपस्थिति और प्रतिनिधित्व

भारतीय तिरंगा आकार में आयताकार है जिसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। यानी झंडे की लंबाई उसकी चौड़ाई की 1.5 गुना है। इसमें ऊपर से नीचे तक क्रमश: केसरिया, सफेद और हरे रंग की तीन बराबर, क्षैतिज रूप से रखी गई पट्टियां हैं। मध्य सफेद पट्टी के मध्य में नेवी ब्लू रंग में 24 तीलियों वाला अशोक चक्र है। साथ ही, झंडा दोनों तरफ से हर लिहाज से एक जैसा होना चाहिए।

तिरंगे में प्रत्येक रंग का अपना महत्व है और एक विशिष्ट मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है। भगवा भारत के महान नेताओं और क्रांतिकारियों के बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है; जिन्होंने मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। तिरंगे का मध्य सफेद भाग भारत के विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच शांति और सद्भाव का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरी ओर हरा रंग भारत में मिट्टी और वनस्पति की समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है।

एक झंडा किसी देश की स्वतंत्र स्थिति और उसके लोगों के गौरव का प्रतिनिधित्व करता है। तिरंगा इस बात का प्रतीक है कि भारत के लोग आजाद हैं और अनंत काल तक रहेंगे। भारतीय जनता तिरंगे को गर्व से सजाती है। यह दुनिया की अन्य शक्तियों के लिए एक चेतावनी के रूप में भी कार्य करता है कि भारत के लोग राष्ट्र के लिए किसी भी खतरे का बचाव करने जा रहे हैं। अपने वर्तमान स्वरूप में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को संविधान सभा द्वारा 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। इस प्रकार तब से ‘तिरंगा’ भारत की लोकतांत्रिक और गणतंत्र स्थिति का प्रतीक बन गया है।

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20 Facts About Indian Flag in Hindi : जानिए राष्ट्रीय ध्वज के बारे में 20 रोचक तथ्य

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  • Updated on  
  • जनवरी 23, 2024

10 Facts About Indian Flag in Hindi (1)

भारत के झंडे यानि राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा भी कहा जाता है। इसका कारण है कि इसमें तीन रंगों को मिलाकर इसे तैयार किया गया है। यह तीन रंग हैं, केसरिया, सफ़ेद और हरा। ये तीन रंग अलग अलग मतलब और भावनाओं को प्रकट करते हैं। भारत देश का तिरंगा हर भारतीय की आन-बान शान है। ऐसे में राष्ट्रीय ध्वज से जुड़े सवाल प्रतियोगी परीक्षाओं के अलावा स्कूल और काॅलेज की परीक्षाओं में भी पूछ लिए जाते है। इसलिए आज के इस ब्लॉग में हम 20 Facts About Indian Flag in Hindi के बारे में जानेंगे। 

10 Facts About Indian Flag in Hindi (1-10)

स्टूडेंट्स के लिए Facts About Indian Flag in Hindi यहाँ दिए गए है :  

  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफेद और हरे रंग से मिलकर बना है जिसके बीच में नेवी ब्लू रंग का 24 तीलियां वाला अशोक चक्र है। 
  • भारत के झंडे को 117 सालों में अब तक कुल 6 बार बदला जा चुका है।
  • तिरंगे का जो स्वरुप हम आज देखते हैं वह भारतीय स्वतंत्रता सैनानी और राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य पिंगली वेंकैया के द्वारा डिज़ाइन किया गया था। 
  • राष्ट्रीय झंडे को 22 जुलाई 1947 के दिन संविधान सभा की बैठक में स्वतंत्र भारत के झंडे के रूप में स्वीकार किया गया था। 
  • वर्ष 1906 में कलकत्ता में भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। 
  • वर्ष 1907 में देश के लिए दूसरा झंडा प्रस्तावित किया गया। यह झंडा भीकाजीकामा ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर तैयार किया था जिसमें झंडे में केसरिया, पीले और हरे रंग की तीन पट्टियां थीं और बीच में वंदे मातरम लिखा हुआ था। 
  • 1917 में देश के लिए एक और झंडा प्रस्तावित किया गया। यह नया झंडा एनी बेसेंट और लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने तैयार किया था और इस झंडे में पांच लाल रंग की और चार हरे रंग की पट्टी थीं।
  • वर्ष 1921 में विजयवाड़ा में कांग्रेस की एक बैठक में एक व्यक्ति ने गांधी जी को एक झंडा दिया जो की लाल रंग का बना हुआ था जिसके बाद गांधी जी ने इस झंडे में बदलाव करते हुए इसमें सफ़ेद रंग की पट्टी जोड़ दी और इसमें उन्होंने बीच में चरखा भी अंकित किया था। 
  • वर्ष 1931 में फिर से एक और तिरंगा झंडा तैयार किया गया जिसमें सबसे ऊपर केसरिया रंग, बीच में सफेद रंग और अंत में हरे रंग की पट्टी बनी हुई थी। इसके बीच में एक छोटा सा चरखा भी बना हुआ था।
  • राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं जिसमें केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतिनिधित्व करता है, सफेद रंग शांति का प्रतिनिधित्व करता है और हरा रंग समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। ध्वज के बीच में अशोक चक्र जीवन चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। 

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तिरंगा के रंगों के बारे में

भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है। यह शौर्य और बलिदान का प्रतीक है। बीच में सफ़ेद रंग होता है जो कि शांति का प्रतीक है। सबसे नीचे हरा रंग होता है जो कि हरियाली और सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसके बीच में दर्शाया गया अशोक चक्र सारनाथ स्थित अशोक स्तम्भ से लिया गया है। यह कर्तव्य का प्रतीक है।

10 Facts About Indian Flag in Hindi (11- 20)

हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बारे में कुछ और रोचक और आश्चर्यजनक तथ्य निम्नलिखित है :

  • भारत का पहला झंडा 1906 में अस्तित्व में आया था।
  • तिरंगे को भारतीय ध्वज के तौर पर मान्यता मिलने में करीब 45 साल का समय लगा।
  • पहली बार राष्ट्र्रीय ध्वज पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा लाल किले पर फहराया था।
  • राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। यानी कि ध्वज की लंबाई इसकी चौड़ाई का 1.5 गुना है।
  • राष्ट्रीय ध्वज में धर्म चक्र को विधि का चक्र भी कहा जाता है। यह तीसरी शताब्‍दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है।
  • पूरे देश में केवल संसद भवन में ही एक साथ तीन तिरंगे झंडे फहराए जाते हैं।
  • भारत में बंगलुरू से 420 किलोमीटर दूर ‘हुबली’ एक मात्र लाइसेंस प्राप्‍त संस्‍थान है जहाँ झंडा बनाने और सप्‍लाई करने का काम किया जाता है।
  • लोगों को अपने घरों में तिरंगा झंडा फहराने की इजाजत 22 दिसंबर 2002 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई।
  • भारतीय तिरंगे पर कुछ भी लिखना या बनाना गैरकानूनी है। ऐसे करने पर सजा भी हो सकती है।
  • यदि कोई व्‍यक्‍ति ‘फलैग कोड ऑफ इंडिया’ में बताए गए नियमों का उल्‍लंघन करता है तो उसे तीन साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं।

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भारतीय राष्ट्रिय ध्वज / तिरंगा पर निबंध (Indian National Flag Essay In Hindi)

भारतीय राष्ट्रिय ध्वज पर निबंध (national flag of india essay in hindi).

हर देशभक्त और देशवासी के लिए राष्ट्रीय ध्वज का अपना अलग और विशेष महत्व होता है। राष्ट्रीय ध्वज को देश की एकता का प्रतीक माना जाता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा कहा जाता है। राष्ट्रीय ध्वज के सबसे ऊपर केसरिया रंग होता है , मध्य में सफ़ेद और सबसे नीचे की पट्टी में हरा रंग होता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

साल 2002 में राष्ट्रीय ध्वज संहिता में कुछ परिवर्तन किये गए। इस परिवर्तन के मुताबिक आम नागरिक को झंडा फहराने की इजाजत दी गयी है। आम लोगो को यह भी कहा गया है कि जब भी वह झंडा फहराए , तो राष्ट्र ध्वज के गौरव और सम्मान में कोई कमी ना आने दे। इस पर आम नागरिको को ख़ास ध्यान देने के लिए कहा गया है।

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10 Sentences About National Flag in Hindi | राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइन निबंध

In this article, we are providing 6 sets of 10 Sentences National Flag in Hindi & English. In these | few lines on Tiranga | Indian National Flag Essay in Hindi , you will get information about National flag in Hindi. हिंदी में राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइनें

10 Sentences About National Flag in Hindi | राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइन निबंध

10 Sentences National Flag in Hindi

( Set-1 ) Rashtriya Dhwaj Par 10 Line | 10 Lines on Indian Flag in Hindi for kids

1. हमारा राष्ट्रीय झंडा तिरंगा है।

2. इसके तीन रंग- ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद और नीचे हरा है।

3. सफेद भाग में ‘अशोक चक्र’ है।

4. केसरिया रंग त्याग का प्रतीक है।

5. सफेद रंग शान्ति और पवित्रता का सूचक है।

6. हरा रंग देश की हरियाली और खुशहाली को बताता है।

7. अशोक चक्र अशोक के आदर्शों को प्रकट करता है।

8. अशोक, अहिंसा, दया, धर्म और सत्य के पुजारी थे।

9. हमारा राष्ट्रीय झंडा हमें स्वतन्त्र होने का अनुभव कराता है।

10. राष्ट्रीय झंडा हमें एकता के सूत्र में पिरोता है।

11. यह हमें शहीदों की कुर्बानी याद दिलाता है।

12. इसका सम्मान करना हमारा परम कर्त्तव्य है।

13. इसके गौरव के लिए हम जिएं और मरें।

( Set-2 ) 5 Lines on Our National Flag in Hindi for kids

1. हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है।

2. हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं।

3. सफेद रंग हमें यह संदेश देता है।

4. केसरिये रंग देश की शक्ति और साहस।

5. हरा रंग, हरा भरा व सम्पन्नता का प्रतीक है।

( Set-3 ) 10 Lines on National Flag of India in Hindi for kids

1. भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है।

2. यह हमारे देश की शान है।

3. यह केसरिया , सफेद और हरे तीन रंगो से मिलकर बना है।

4. तिरंगा भारत की स्वतंत्रता का प्रतिक है।

5. सबसे उपर केसरिया रंग होता है जो साहस, वीरता और शौर्य का प्रतीक है।

6. मध्य मे सफेद रंग होता जो की शांति, शुद्धता और सत्यता का प्रतीक है।

7. सबसे नीचे हर रंग जो की सुख, समृधि और विकास का प्रतीक है।

8. तिरंगे के बीच मे एक चक्र होता है जिसे अशोक चक्र कहते है।

9. चक्र मे 24 तीलियाँ होती है।

10. सभी लोगों को अपने ध्वज का सम्मान करना चाहिए।

( Set-4 ) 10 Lines on Our National Flag in Hindi Essay| राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइन निबंध

1. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगा के नाम से भी जाना जाता हैं।

2. हमारा राष्ट्रिय ध्वज संविधान सभा के द्वारा 22 जुलाई 1997 को अपनाया गया था।

3. भारत के राष्ट्रीय ध्वज में क्रमानुसार केसरिया, सफ़ेद और हरा रंग होता है।

4. हमारे राष्ट्रीय ध्वज के बीच में एक अशोक चक्र भी होता है।

5. हमारे राष्ट्रीय ध्वज का केसरिया रंग वीरता और बलिदान को दर्शाता है।

6. हमारे राष्ट्रीय ध्वज का सफेद रंग शुद्धता और सच्चाई को दर्शाता है।

7. हमारे राष्ट्रीय ध्वज का हरा रंग देश की शान्ति और विकास को दर्शाता है।

8. हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमारे भारत देश की एक पहचान हैं।

9. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को केवल खादी और सूती के कपड़े से ही बनाया जाता है।

10. राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर हम सब भारतीय मिलकर राष्ट्रिय ध्वज को बहुत गर्व के साथ लहराते है।

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( Set-5 ) 10 Lines on National Flag in Hindi Essay | राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइन

1. भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है जो कि केसरिया, सफेद और हरे रंग से बना है।

2. तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था।

3. तिरंगा रिकिटैंगल के आकार में होता है और इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।

4. इसमें केसरीया, सफेद और हरे रंग की तीन सामानंतर पट्टियाँ हैं।

5. केसरीया रंग बहादुरी, सफेद रंग सच्चाई और हरा रंग हरियाली का प्रतीक है।

6. सफेद रंग की पट्टी में पट्टी के व्यास जीतना ही नीले रंग का चक्र बना हुआ है जिसमें 24 तीलियाँ हैं।

7. तिरंगे को अपनाने से पहले ध्वज में 6 बार बदलाव किए गए थे।

8. राष्ट्रीय ध्वज को खादी या सिल्क का बनाया जाता है।

9. राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बहुत से नियम है और इसे सजावट के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

10. राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीय शौक के समय आधा झुका हुआ रहता है।

( Set-6 ) Bharat ke Rashtriya Dhwaj par 10 Vakya

भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर 10 लाइनें

1. हमारे भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगे के नाम से भी जाना जाता है।

2. हमारा राष्ट्रीय ध्वज 3 रंगों से मिलकर बना है।

3. स्कूलों में राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय राष्ट्रीय गान किया जाता है।

4. हमारे भारत के राष्ट्रीय ध्वज में सफेद हरा और केसरी रंग है।

5. किसी भी राष्ट्र के लिए उसका ध्वज उसकी स्वतंत्रा और गौरव का प्रतीक होता है।

6. तिरंगे के बीच में एक नीले रंग का अशोक चक्र है, जिसमें 24 तिलिया होती है।

7. हम अपने राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान हमेशा ही ऊंचे स्थान पर करते हैं।

8. भारत का ध्वजा सामाजिक, राजनीतिक तथा संस्कृतिक को दर्शाता है‌

9. सभी व्यक्ति देश के तिरंगे का सम्मान करते हैं ।

10. तिरंगा हमें देश में हुए शहीद नौजवान की याद दिलाता हैं।

Few lines on Indian Flag in English

1. India’s national flag is a tricolour made of saffron, white and green colour.

2. The Tricolor was adopted as the national flag on July 22, 1947.

3. The tricolour is the size of the rectangle and its ratio of length and width is 3: 2.

4. In it, there are three common bars of saffron, white and green colour palettes.

5. Kesaria colour symbolizes bravery, white colour and green colour greenery.

6. Winning the diameter of the bar in a white-coloured band is a blue circle that has 24 tealies.

7. Before the adoption of tricolour, the flags were changed 6 times.

8. The national flag is made of Khadi or Silk.

9. There are many rules to hoist the national flag and it can not be used for decoration.

10. The national flag remains half-tilted during national hobbies.

# lines on National Flag in Hindi for kids # 10 Lines Essay on National Flag in Hindi.

# 5 lines on our national flag in Hindi

FAQ on Indian Flag in Hindi

Question. भारत का राष्ट्रीय ध्वज कौन सा है?

Answer. प्रत्येक देश का एक राष्ट्रीय ध्वज होता है जो उस देश‍ की निशानी या पहचान होती है। हमारे देश का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा झंडा है। जिसके बीच अशोक चक्र विद्यमान है। यह झंडा हमारे राष्ट्र की शान है। यह सारे देश में सरकारी भवनों, कार्यालओं विदेशों में दूतावासों व जहां भी भारत के कार्यालय हैं, वहापर लहराता रहता है और भारत के गौरव व शान को प्रकट करता है। हमारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं हरा, सफेद, केसरी तथा बीचों-बीच अशोक चक्र विद्यमान है।

Question. Indian National Flag ( Tiranga ) में तीन रंग क्या दर्शाते है ? | राष्ट्रीय ध्वज का क्या महत्व है?

Answer. केसरिये रंग हमें यह संदेश देता है, कि हमें भारत की रक्षा के लिये त्याग व वीरता के साथ तत्पर रहना चाहिए। इसके साथ ही हमें संग्रह न कर त्याग करना चाहिए। हमारे ध्वज के बीच में सफेद रंग है जो सत्य, शांति, अहिंसा व सादगी का प्रतीक है। सफेद रंग हमें यह संदेश देता है, कि हमे जीवन के हर क्षेत्र में सत्य व प्रेम को नहीं छोड़ना चाहिए। इसके द्वारा हम विश्व को बता देना चाहते हैं कि भारत सदा शांति का अनुयायी है। सबसे नीचे हरा रंग, हरा भरा व सम्पन्नता का प्रतीक है।

Question . भारतीय ध्वज किसने बनाया?

Answer . भारत का राष्ट्रीय ध्वज 1921 में पिंगली वेंकैया द्वारा डिजाइन किया गया था।

Question . तिरंगा को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?

Answer . तिरंगा को अंग्रेजी में Tricolour कहते हैं?

Question. भारत का ध्वज कब बनाया गया?

Answer . 22 जुलाई 1947

इस article के माध्यम से हमने Ten lines on National Flag of India in Hindi Essay का वर्णन किया है और आप यह article को नीचे दिए गए विषयों पर भी इस्तेमाल कर सकते है।

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